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Hindi story बक्त से समझौता. emotional story

                                            बक्त से समझौता


नमस्ते दोस्तों आज मै एक बार फिर आप के बीच लेकर आया हूँ एक बेहद ही
प्यारी emotional  story
Love Stories तो इसे कृपया पूरा पढ़े और केसी
लगी ये कहानी जरुर बताये :ये कहानी ह विशाल और प्रसून के प्यार की कि कैसे मिले वो तो आइये इसे में
और आप साथ पढ़ते है ओर जानते है कि क्या है विशाल और प्रसून  की  emotional  story

                  

विशाल के माता-पिता का एक हादसे में कुछ साल पहले ही निधन हो गया था बस विशाल की एक बड़ी दीदी थी जिसकी भी शादी हो चुकी थी,विशाल,रौशनी को देखने गया, उसे रौशनी पसंद आ गयी, रौशनी के घर में भी बस उसके भाई और भाभी दोनों ही थे उसके माता-पिता का भी देहांत हो चुका था | विशाल और रौशनी दोनों की शादी हो गयी |शादी के बाद जब रौशनी ससुराल पहुंची, सारे कार्यक्रम खत्म होने के बाद् ही ४-५ दिनों में सभी मेहमान एक-एक कर के अपने घर चले गए,परन्तु, उस की ननद और डेढ साल का बेटा कुछ दिनों के लिए रुक गए. रौशनी के सास-सुसर तो इस दुनिया में थे नहीं, इसलिए उस की ननद मोना, जितने दिन भी रहीं, रोशनी को बहुत प्यार दिया ताकि उस को सास की कमी ना लगे,भाई के विवाह की सारी जिम्मेदारी मोना ने ही संभाली थी, रौशनी ने मोना के सामने ही अपनी गृहस्थी को संभालना शुरू कर दिया था,रौशनी ने अपने स्वभाव से मोना का दिल जीत लिया था,मोना इस बात से संतुष्ट्र और खुश थीं कि उस के भाई विशाल
को बहुत अच्छी जीवनसंगिनी मिली है, अब उसे विशाल की चिंता करने की जरूरत नहीं है, रौशनी सब संभाल लेगी।

बस रौशनी को एक बात बहुत अजीब लगती कि नुनद अपने बेटे प्रसून को अधिकतर रौशनी को सँभालने को दे देती पर रौशनी सोचती कि मोना प्रसून को सँभालते-सँभालते थक गयी होगी इसलिए वो उसे दे देती होगी क्यूंकि वापस ससुराल जा कर नन्द को ही बच्चे को संभालना है। आखिर वो दिन भी आ गया जब मोना को ससुराल वापस जाना था,विदा लेते समय मोना ने रौशनी को गले लगाते हुए कहा, मेरा भाई दिल का बहुत अच्छा है, तुझे कभी कोई  तकलीफ नहीं होने देगा रौशनी, तू उस का ध्यान रखना और खुद का भी।

और हाँ कभी भी मुझ से कोई सलाह लेनी हो तो संकोच नहीं करना तुम कोई परेशानी हो तो मुझे बता देना,मैं आती रहूंगी, आखिर कानपूर से लखनऊ दूर ही कितना है दीदी, आप परेशान मूत हो, मैं इन को ध्यान रखूगी, संब संभाल लुंगी,रौशनी ने झुक कर ननद के पैर छुए, उस की ननद तो ऑटो में बैठ गई लेकिन प्रसून को तो अंदर कमरे में पलंग पर ही छोड़ आयी। रौशनी ने कहा, अरे दीदी प्रसून को तो लेती जाइये,आप तो उसे ही भूल गयी रौशनी मुस्कुरा दी।
मोना ने कहा,नहीं, अब तो तुम आ गई हो, इसलिए प्रसून अब यहीं रहेगा................मोना आगे कुछ और कहते-कहुते मानो जैसे रुक सी गईं।रौशनी यह सुन कर हैरान रह गई,अभी उसकी शादी को दिन ही कितने हुए हैं, इसलिए कोई भी सवाल करना उसे उचित नहीं लगा,ननद के जाने के बाद उस के दिमाग में सवालों ने उमड़ना शुरू कर दिया था, कहीं दीदी इसलिए तो मुझं पर इतना प्यार तो नहीं लुटा रही थीं कि अपने बच्चे की जिम्मेदारी मुझ पर डाल कर आजाद होना चाह रही थीं आखिर ऐसी कौन सी बात है जो वे डेढ़ साल
के छोटे से बच्चे को मेरे पास छोड़ गयी,लेकिन एक बार मुझ से अपनी योजना के बारे में बता कर मेरी भी तो मर्जी जाननी चाहिए थी उन्हें,विशाल भी ऑफिस गया हुआ था जो वो उससे कुछ पूछ सके, मन तो किया विशाल को ही फ़ोन लगा कर पूछ ले फिर सोचने लगी ऐसी बातें फ़ोन पर कैसे पूछ सकती है कभी विशाल गुस्सा हो गया तो, १५ दिँन के भीतर ही सब तय हो गया शादी भी हो गयी इसलिए वो विशाल को ज्यादा जान भी नहीं पायी इसलिए जल्दी से जल्दी
अपने संदेह को दूर करने के लिए वह विशाल के ऑफिस से लौट कर आने का इंतजार करने लगी |विशाल के आते ही उस ने उसको चाय और नाश्ता दिया, उसके साथ बैठ थोड़ी बहुत बात की यह सोच कर कि उसे यह न लगे कि उस की बहन के बच्चे रखने में उसे कोई आपत्ति है, फिर उस ने धीरे से पूछा,दीदी
का बच्चा प्रसून यहीं रहेगा क्या हमारे साथ ?ये सुन विशाल हैरान हो गया और कहा,प्रसून दीदी का नहीं मेरा बच्चा है,पत्नी की मृत्यु के बाद दीदी ने प्रसून
को अपने पास रख कर उसको पाला है,तुम्हें..............आगे कुछ कहने ही वाला था कि रौशनी चीखती हुई बोल पड़ी...............क्या तुम शादी-शुदा हो? तुम ने हमें पहले क्यों नहीं बताया? हमें धोखा दिया तुमने...क्या ये शादी
की नींव एक झूठ है ?

रौशनी को लगा कि जैसे वह किसी साजिश की शिकार हुई है, ये बात तो उसने सोची ही नहीं थी कि ऐसा भी हो सकता है ।विशाल हैरान सा थोड़ी देर तक
रौशनी की तरफ देखता रहा, फिर धीरे से कहा, मैं ने तुम्हारे भाई विनोद को सब कुछ बता दिया था तो क्या उन्होंने तुम्हें नहीं बतायाँ? मैं ने तुम्हें धोखा नहीं दिया और जब मैंने विनोद से पूछा कि क्या रौशनी मुझसे ये सब जानने के बाद शादी करने को राजी है तो विनोद ने कहा कि आपको रोशनी से कहने की जरुरत नहीं उसकी भाभी और मैं बात कर चके है उसे इस शादी तो कोई एतराज नहीं.
रौशनी की आँखों से ये सुन आसूं बहने लगे ये देख विशाल ने कहा, फिर भी तुम मेरी ओर से आजाद हो, कभी भी वापस जा सकर्ती हो तुम जाना चाहो तो तो क्या, मेरे अपने भाई-भाभी ने मुझै छला है, उस को लगा उस के माथे की नसें फूट ही जाएंगी, उस ने दोनों हाथों से जोर से सिर पकड़ लिया और रोते-रोते,
वो धम्म से जमीन पर बैठ गई, कर्ने-सुनने को अब बचा ही क्या था,उस के सारे सपने मानो टूट कर बिखर गए. थे,शरीर से मानो किसी ने सारी शक्ति निचोड़
ही ली हो, वह किसी तरह वहां से उठ कर सोफे पर निढाल हो कर लेट गई। रौशनी के दिमाग में चलचित्र शरू हो गए, अतीत की यादों की बदली घुमड़-घुमड़ कर बरसने लगी,उस के पिता जी तो बहुत पहले ही चले . गए थे दुनिया से, उस की मां ने ही उसे और उस के भाई को नौकरी कर के पढ़ाया-लिखाया,जब वो कालेज में पढ़ रही थी, तभी अचानक हार्ट-अटैक से मां की भी मृत्यु हो गई उसका भाई विनोद उस से ७ साल बड़ा था, इसलिए उसकी शादी मां के सामने ही हो गयी थी |मां के जाने के बाद भाई-भाभी का उस के प्रति व्यवहार बिलकुल सा बदल गया,वे दोनों उसे बोझ समझने लगे
थे, ग्रेजुएशन के बाद उस की पढ़ाई पर भी उन्होंने रोक लगा दी थी, उसे आगे पढ़ने ही नहीं दिया,



                भाभी भी ऑफिस जाती थी, रौशनी सुबह से रात
तक घर के काम में जुटी रहती थी उस के शादी के लिए कई प्रस्ताव आए, लेकिन अभी जल्दी क्या है शादी की ये कह कर भाई-भाभी दोनों ही टाल दिया करते थे, मुफ्त की नौकरानी जो मिली हुई थी उन्हें ।इसी बीच, भाई भाभी के घर एक बेटी का जनम भी हो गया, जब पानी सिर से गुजरने लगा और रिश्तेदारों ने उन्हें टोकना शुरू कर दिया, तो उन्होंने रौशनी की शादी के बारे में सोचना शुरू किया,उन्होंने विशाल को उसके लिए चुना, जिस उम्र की वह थी, उस में बिना खर्च और दहेज़ के इस से अच्छा रिश्ता क्या हो सकता था, उस का मन भाई-भाभी के लिए घृणा से भर उठा । अचानक विशाल को सामने खड़ें देख कर उस के विचारों को झटका सा लगा, विशालू ने उस के पास बैठते हुए कहा तुम्हारे साथ जो भी हुआ, बहुत बुरा हुआ रौशनी पर मैं इस के बारे में सच में कुछ नहीं जानता था,पर हां तुम्हारे भाई-भाभी को ही इस शादी की जल्दबाज़ी थी इसलिए उन्होंने ने ही सब १५ दिनों में तय कर शादी कर दी और मुझे तुमसे बात करने का ज्यादा मौका भी ना दिया लेकिन दुखी होने से बीता वक्त वापस नहीं आएगा,अभी उठो और शांत-मन से इस समस्या का हल सोचो,
जो तुम चाहोगी, वैसा ही होगा, तब तक तुम मेरी मेहमान हो यहाँ आराम से रहो, तुम कहोगी तो मैं तुम्हारे भाई के पास छोड़ आऊंगा तुम्हे।

                  भाई के पास जा कर क्या होगा,यदि, भाई-भाभी को
मेरी खुशी की परवाह होती तो ऐसा करते ही क्यों,मेरे साथ देखा तो ना करते. मुझे नहीं जाना उन के पास वह बड़बड़ायी और आंखों के आंसू पोंछ कर रसोई में खाना बनाने चली गयी |अगले दिन सुबह-सुबह ही उस की ननद मोना का फोन आया रौशनी समझ गई कि कल की घटना के बारे में वे जान चुकी होंगी
इसीलिए उन का फोन आया है, उधर से आवाज आई, रौशनी , हम ने तुम्हारे भाई-भाभी से कुछ भी नहीं छिपाया था,फिर भी यदि तुम्हें प्रसून से समस्या है, तो वे पहले की तरह मेरे पास ही रहेगा, लेकिन मेरे भाई को मत् छोड़ना तुम, पुरे एक साल बाद उस के जीवन में तुम्हारे रूप में खुशी आई है रौशनी, बड़ी मुश्किल से वह शादी के लिए राजी हुआ था, मोना भरे गले से बोलीं |जी, इस के अलावा रौशनी कुछ बोल ही नहीं पाई, इस से पहले कि रौशनी कुछ और
फैसला ले कर उन्हें बताए, उन्होंने ही उस की सोच को नई दिशा दे दी थी। उस ने नए सिरे से सोचना शुरू किया कि भाई-भाभी के पास वापस जा कर वह फिर से उस नर्क के दलदल में फंसना नहीं चाहती और बिना किसी सहारे के अकेली लड़की की इस दुनिया में क्या दूशा होती है, यह तो सब जानते है,यदि
उसकी शादी किसी कुंआरे लड़के से होती, तो क्या गारंटी थी वह विशाल की तरह उसे समझने वाला होता,  साफ़ दिल होता,विशाल की तो कोई गलती नहीं है इन सब में, फिर भी वह उसे आजाद करने के लिए तैयार है, इतना प्यार करने वाली ननद, कहां सब को मिलती है, भाई-बहन का ऐसा प्यार, जिस में दोनों एक-दूसरे की खुशी के लिए कुछ भी कुर्बान क्रने के लिए तैयार हैं, जो उसे कभी अपने भाई से नहीं मिला।

                 प्रसून जो शुरू में रौशनी के पास नहीं जाता था, रोने
लगता था, अब सारा दिन उस के साथ खेलता है, इतने सुखी और अच्छे संसार को वह कैसे त्याग सकती है, जो खुशी प्यार और अच्छे रिश्तों से हासिल हो सकती है, वो बेशुमार धनदौलत या ऐशो-आराम से नहीं मिल सकती, और आखिर यहाँ क्या कमी है उसे इतना प्यार, जिस की उस के जीवन में बहुत कमी थी, हाथ फैलाए उस के स्वागत के लिए तैयार है वो। समाज में अधिकतर बहुओं को घर में ऊंचा दर्जा दिया नहीं जाता है, वहां एक लड़की को शादी के और मान-मान मिल जाए. तो उसे और क्या चाहिए रौशनी को वक्त से समझौता कर लेने में ही भलाई लगी, संदेह और चिंता की स्थिति से वह उबर चुकी थी अब, उसने निर्णय ले लिया था। रौशनी ने देख की प्रसून भी अब उसके बिना एक पल नहीं रहता,उसने प्रसून को गले से लगा लिया, उस का भी दिल भर आया, इतना तो उसे कभी, उस के भतीजों ने महत्त्व नहीं दिया था, जिन को उस ने वर्षों तक प्यार-दुलार दिया था रोशनी ने अपनी ननद मोना को अपने फैसले को बताने के लिए फोन लगा और कहा, दीदी, मैं यहीं रहूंगी कहीं नहीं
जाऊंगी मैं प्रसून भी अब हमारे साथ ही रहेगा, मैं उसकी माँ बन कर पूरी तरह उसकी देखभाल करूंगी, उस की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि उस की नजर पीछे खड़े, विशाल पर पड़ी, जो उस की बात सुन कर मुस्कुरा रहा था,आंखें चार होने पर वह नववधू सी शरमा गई, भूल गई कि वह अपनी ननद मोना से बात कर रही थी,पर उसके भाई-भाभी के लिये उसके दिल में कड़वाहट सी आ गयी क्यूंकि उन्होंने उसकी शादी की नींव झूठ से रखी थी उसे धोखा दिया था, इसलिए वो उनसे अब कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती थी पर वो विशाल और प्रसून के साथ अपनी इस नई दुनिया में खुश थी और कोई भी परेशानी होती तो
उसके पास उसकी बड़ी बहन सामान ननद भी थी।


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