तुम्हे पाने की ज़िद
नमस्ते दोस्तों आज मै एक बार फिर आप के बीच लेकर आया हूँ एक बेहद ही
प्यारी emotional Love Stories तो इसे कृपया पूरा पढ़े और कैसी
लगी ये कहानी जरुर बताये :ये कहानी है रामा और नंदिनी के प्यार की कि कैसे मिले वो तो आइये इसे में l
गांव के सरकारी स्कूल में १२ वी कक्षा में पढ़ती थी नंदिनी, नंदिनी बहुत ही चंचल स्वाभाव की लड़की और गांव के जमींदार की बेटी थी। कक्षा में सब बच्चे उससे बात करने को आतुर रहते पर नंदिनी जिससे बात करना चाहती थी वो था सरल स्वभाव का रामा | रामा गांव के गरीब किसान का बेटा, उसके पिता के पास एक छोटा सा खेत था, जिस पर खेती कर वे थोड़ा बहुत पैसा कमा लेते थे, जिससे उनकी गृहस्थी चल जाती थी। रामा पढ़ने में बहुत ही होशियार था, हमेशा कक्षा में प्रथम आता।
नंदिनी रामा से बात करना चाहती थी पर रामा हमेशा उससे दूर-दूर भागता रहता, ऐसा ना था कि रामा नंदिनी को पसंद ना करता पर वो बहुत शर्मिला था, जब कभी होमवर्क कॉपी लेते-देते रामा का हाथ नंदिनी से छू जाता तो उसके बदन में मानो एक कपकपी सी दौड़ पड़ती। इधर नंदिनी के दिल में रामा के लिए प्रेम दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा था, वो छिप-छिप कर उसे देखती, उससे बात करने के बहाने ढूंढती, रामा भी सब कुछ समझता था पर वो सोचता कि वो उसकी गलतफहमी है, कहाँ वो जमींदार की बेटी और कहाँ मैं गरीब किसान का बेटा, कभी जमीं और आसमान एक हो पाएं है भला । एक दिन गांव के थियेटर में दिल तो पागल है फिल्म लगी, रामा के सारे दोस्त फिल्म देखने जाने वाले थे पर, रामा कहाँ से पैसा लाता उसने जाने से मना कर दिया पर उसके सबसे अच्छे दोस्त महेश ने कहा, चल ना यार तेरे पैसे मैं दे दूंगा पर, रामा बहत स्वाभिमानी था उसने मना कर दिया, पर महेश ने कहा, देख स्कूल ख़त्म होने वाले हैं फिर हम सब अलग-अलग हो जायेंगे कोई शहर पढ़ने चला जायेगा और कोई मुझ जैसा होगा तो अपने बाप की किराना दूकान संभाल लेगा | महेश के पिता की पास ही के गांव में बड़ी सी किराने की दूकान थी, एक ही बड़ी दूकान होने के कारण बहुत अच्छी चलती थी इसलिए उसके पिता चाहते थे कि महेश आगे पढ़ने की जगह दूकान संभाले | महेश के जोर देने पर रामा फिल्म देखने चला गयां | फिल्म ने उसके दिल को छू लिया पर उसने अपने दिल को संभाला कि ये फिल्म है उसके जीवन में ये प्यार-मोहब्बत् कहाँ, उसके पास तो दो वक़्त के खाने के पैसे भी नहीं होते, महीने में एक बार पिताजी २० रुपये देते हैं उसे बस । इधर नंदिनी भी अपनी सहेलियों के साथ
फिल्म देखने गई वो तो इतनी खो गई कि हीरो को देख रामा कि कल्पना करने लगी कि रामा यदि कोट सूट पहने तो कितना हैंडसम लगेगा, बहुत दिनों तक उसके दिल-ओ-दिमाग में फिल्म की खुमारी छायी रही, प्यार का बुखार सर चढ़ बोलने लगा। एक दिन नंदिनी स्कूल में फूटबाल खेल रही थी कि उसके पैर में मोच आ गई, उसे दर्द से करहाते देख रामा दौड़ता हुआ उसके पास आया और उसके पैर को सहलाने लगा, नंदिनी अपना दर्द भूल रामा को ही देखती रही,
रामा भी उसे दर्द में देख सब भूल गया, उस दिन नंदिनी और रामा ने अपने एक-दूसरे के प्रति प्यार की गहराईयों को समझ लिया था।
दोनों की आँखे और दिल सब बयां कर रहे थे बस होठ खामोश थे, अगले दिन वैलेंटाइन डे था गांव में वैलेंटाइन डे कोई महत्त्व नहीं रखता पर, जब दिल तो पागल है फिल्म में नंदिनी ने हीरो-हीरोइन को चॉक्लेट, टेडी बेयर, उपहार देते हुए देखा तो उसका मन भी मचल गया कि काश इस वैलेंटाइन डे रामा भी उसे उपहार दे और अपने प्यार का इज़हार करे | इधर रामा भी सोचने लगा कि कल वैलेंटाइन डे हैार मेरी औकात गिफ्ट खरीदने की नहीं है तो क्यों ना मैं नंदिनी को एक गुलाब ही दे दूँ पर उसका दिल कह रहा था गुलाब देंदे और दिमाग मना कर रहा था, कहीं नंदिनी को बुरा लग गया और उसने मुझे सबके सामने कुछ कह दिया तो पर दिल और दिमाग की लड़ाई में दिल जीत गया, उसने गुलाब के पौधे से फूल तोड़ा और स्कूल ले कर गया लेकिन हिम्मत ही ना हुई देने की - फूल भी बेचारा मुरझा गया था, पूरा दिन निकल गया आखिर में उसने लंच टाइम में नंदिनी की बेंच पर जा कर उस फूल को रख दिया, जब लंच कर नंदिनी कक्षा में आई अपनी बेंच पर मुरझा हुआ फूल देखा, उसने सोचा शायद गलती से किसी ने रख दिया होगा, उसने जा कर उस डस्टबिन में फेक दिया, ये देख रामा का दिल टूट गया पर उसने अपने दिल को समझा लिया कि नंदिनी को क्या पता फूल किसने दिया।
वैलेंटाइन डे की शाम को रामा और उसके दोस्त गांव में लगे मेले में जाने की बात कर रहे थे, नंदिनी ने उनकी बात सुन ली इसलिए उसने भी अपनी सहेलियों के साथ मेले में जाने का सोचा। शामको नंदिनी अपनी सहेलियों संग मेले में गई और रामा अपने दोस्तों के साथ, दोनों की मुलाकात मेले में हुई। रामा झूले में बैठा तो नंदिनी झट से उसके पास आ कर बैठ गई, झूला शुरू हुआ, नंदिनी ने रामा से कहा, पता है आज वैलेंटाइन ड ह उस फिल्म में कैसे हीरो ने हीरोइन को एक सुंदर सा टेडी बेयर ला कर दिया था और चॉक्लेट भी काश मुझे भी कोई ला कर दे ऐसे |
रामा नंदिनी का इशारा समझ ना पाया, झूले की गति तेज़ हो गई, नंदिनी डर के मारे रामा के गले से लग गई, दोनों खो गए थे फिर दोनों ने सब के साथ मेला घुमा | जब घर आने लगे तो नंदिनी ने रामा से कहा, रामा क्या तुम मुझे अपनी सायकल पर बैठाओगे ? रामा चुप रहाँ कुछ बोल ही ना सका।..
नंदिनी उसकी सायकल पर बैठ गई, दोनों चुप थे पुरे रास्ते पर दिल की धड़कने तेज़ थी दोनों की, दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे कि क्या कहे। नंदिनी का घर आ गया जैसे ही नंदिनी सायकल से उतरी, नंदिनी के भाई सुमेर ने देख लिया और चिल्लाते हुए बोला नंदिनी तू इसके साथ क्या कर रही है जा अंदर जा, रामा से बोला, अपनी औकात मत भूल और मेरी बहन से दूर रह समझा । उस दिन पूरी रात नंदिनी और रामा कि आँखों में नींद नहीं थी, दोनों प्रेम के सागर में गोते लगा रहे थे, अगले दिन स्कूल की छुट्टी हुई फिर नंदिनी ने रामा से कहा, रामा मुझे अपनी सायकल से घर छोड़ दोगे, रामा फिर खामोश था नंदिनी के आगे उसकी जबान खुलती ही ना थी वो अपनी सुध-बुध ही खो बैठता था । नंदिनी रामा के साथ सायकल पर बैठ गई, अब तो ये रोज़ का हो गया था, फिर एक दिन सुमेर ने देख लिया और रामा से कहा मैं बहुत दिनों से देख रहा हूँ तू मेरी बहन के आस-पास मंडरा रहा है आगे से तुझ जैसे दो कोड़ी के लड़के को मेरी बहन के आस-पास भी देखा ना तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा, अपनी
औकात मत भूल तू समझा | इधर रामा प्यार की धुन में खोया था इस बात से अंजान था कि घर में क्या हो रहा है, गांव में दो साल पहले सूखा पड़ा था इसलिए उसके पिता ने अपना खेत गिरवी रख जमींदार से क़र्ज़ ले रखा था, पर उसके पिता वो क़र्ज़ का अब तक एक रुपया भी ना चूका पाए, ब्याज भी बढ़ रहा था इस कारण जमींदार के आदमी महीने में एक-दो बार आ कर चेतावनी दे चले जाते पर अब वे रोज़ आ कर धमकी देने लगे कि अगर पैसा ना चुकाया तो खेत वे रख लेंगे, रामा के पिता इस बात से परेशान थे।
एक खेत ही तो है जिससे दो वक़्त का रोटी का इंतज़ाम होता है वो भी चला जायेगा तो कैसे गुजारा होगा। रामा और नंदिनी को सायकल पर आता-जाता देख गांव में बातें होने लगी थी और ये बात नंदिनी के पिता तक
पहुंच चुकी थी, एक दिन नंदिनी के पिता रामा के घर आये, उस दिन रामा भी घर पर था, नंदिनी के पिता ने रामा के पिता से कहा, देख रिया तुझे पहले ही बहुत मौहलत दे चूका हूँ अब और दो दिन अगर दो दिन में रुपये ना चुकाया तो तेरा खेत मेरा हो जायेगा और हां अपने बेटे को समझा ले अपनी हद में रहे मेरी बेटी के साथ अगली बार देखा ना तो अच्छा नहीं होगा, तुम जैसे गरीब लोगों से प्यार से क्या बात कर लो तुम तो सर पुर बैठ जाते हो, तेरा बेटा मेरी बेटी को प्यार के जाल में फंसा कर क्या कर्ज़ माफ़ करवा कर मेरा दामादू बनना चाहता है, रामा की तरफ देख बोला, पैरो की जूती हमेशा पैरो में ही होती है उसे सर
पर नहीं बैठाया जाता समझे ना।
रामा खामोश रहा पर वो समझ गया कि नंदिनी और उसका मिलन इस जन्म में तो संभव ही नहीं है, अब उसने नंदिनी से दूरी बना ली थी| रामा जैसे ही स्कूल की छुट्टी होती नंदिनी की तरफ बिना देखे सायकल लें चला जाता, नदिनी से उसकी बेरुखी बर्दाश्त नहीं हो रही थी, फिर उसे महेश से रामा
के पिता द्वारा लिए गए क़र्ज़ के बारे में पता चला, नंदिनी रामा के पास गई उसने कहा तुम दुखी हो ना इसलिए मुझसे ऐसा व्यवहार कर रहे हो ना तुम, मैं तुम्हें रुपये ला कर देती हूँ, तुम क़र्ज़ चूका दो | रामा बहत स्वाभिमानी था उसने साफ़ इंकार कर दिया और कहा कि तुम मुझसे दूर रहो तो ही अच्छा होगा। एक
दिन रामा स्कूल से घर गया उसने दरवाज़ा बजाया पर उसके हाथ लगाते ही दरवाज़ा खुला गया, उसने देखा उसके पिताजी ने फांसी लागा लीं, वो ये देख जोर-जोर से रोने लगा एक पिता ही तो थे उसके अपने, पास ही में एक पत्र भी था बेटा मुझे माफ़ करना मैं हार गया तुझे अच्छा जीवन ना दे सका | रामा के चाचा जो शहर में सब्जी का ठेला लगते थे, रामा के पिता की मौत की खबर
मिलते ही गांव आ गए, रामा के पिताजी का अंतिम संस्कार कर दिया गया,
उसके बाद रामा के चाचा ने कहा बेटा तेरा एक पेपर बचा है और फिर तेरी छुट्टियां लग जाएंगी, तू यहाँ क्या करेगा घर भी किराये का है और अब तो
खेत भी नहीं रहा। तू मेरे साथ शहर चल वहां तुझे कोई काम दिलवा दूंगा| परीक्षा खत्म होने के बाद रामा ने अपना सामान बांधा पर जाने से पहले वो नंदिनी से मिलने गया, नंदिनी अपने घर के बाहर बगीचे में उदास सी बैठी थी, रामा को देख उसके पास दौड़ी चली आई | रामा ने कहा, नंदिनी में गांव छोड़ कर जा रहा हूँ शहर चाचा के पास, ये सुन नंदिनी रो पड़ी और बोली मत जाओ,
रामा मैं पिताजी से कहूँगी तुम्हें खेत वापस दे के लिए और रामा के गले से लग गई और कहने लगी, रामा मुझे उस हीरोइन जैसे टेडी बेयर, चॉक्लेट,
महंगे उपहार नहीं चाहिए मुझे तो बस सिर्फ तुम और तुम चाहिए । इतने में नंदिनी के पिताजी और भाई आ गए और उन दोनों को खींच अलग करते हुए बोले बेशर्म लड़की तुझे छूट क्या दी तू ये सब करने लगी जा अंद्र, नंदिनी ने उनकी बात ना सुनी वहीं खड़ी रही और रोते हुए बोली, पिताजी आप रामा का क़र्ज़ माफ़ कर दो उसे जमीं लौटा दो ना पर उसका भाई सुमेर उसके पास आया और उसे हाथ खींच अंदर ले जाने लगा, तब नंदिनी जोर से रोने लगी और ये देख रामा ने कहा नंदिनी मेरा वादा है मैं वापस आऊंगा तुम मेरा इंतज़ार करना | रामा नंदिनी को दुःखी छोड़ शहर चला गया, वहां चाचा के साथ सब्जी का ठेला
लगाता पर उसका कहीं भी मन नहीं लगता, वो नंदिनी को याद कर तड़प उठता, एक साल बीत गया था पर वो नंदिनी को भूल ना पाया । एक दिन एक लॉटरी का टिकट बेचने वाला उसके पास आया और बोला एक टिकट ले लो ना सुबह से एक भी ना बिका, रामा ने कहा अरे भाई ले भी लूंगा तो कौनसा मेरी
किस्मत बदल जाएंगी मैं तो बदनसीब हूँ लॉटरी वाले ने कहा, देखो भैया किस्मत बड़ी कुत्ती चीज़ है कब किसकी बदल जाए कह नहीं सकते राजा को रंक और रंक को कब राजा बना दे।
रामा ने टिकट लेली, अगले दिन उसे पता चला उसे २ लाख रुपये की लॉटरी लगी है, उसके चाचा ने पूछा बेटा अब तू क्या . करेगा इन रुपयों का, रामा ने बहुत सोचा फिर सोची बैंक में जमा करने का क्या फायदा क्यों ना मैं आगे की पढ़ाई करूँ उसने psc की तैयारी के लिए कोचिंग लगा ली और रात को एक कारखाने में नौकरी भी कर ली।
वो दिन रात कड़ी मेहनत करता, एक दिन उसकी मुलाकात् अपने दोस्त महेश से हुई, महेश से उसने नंदिनी के बारे में पूछा, महेश ने बताया अच्छी है अक्सर गांव में उसे देखता हूँ यार अब तक तो वो तुझे भूल भी गई होगी बड़े बाप की बेटी है, तू भी भूल जा फिर महेश ने उसे अपना मोबाइल नंबर दिया और कहा जब दिल करें बात कर लेना| रामा जब भी पढ़ने बैठता उसे नंदिनी जरूर याद आती, वो बिताये हुए पल उसके साथ सोच, आँख नम हो जाती पर वो सोचता महेश ने सच कहा अब तक वो उसे भूल गई होगी, पर दिल मानता ही नहीं ना आखिर नंदिनी के हाल-चाल जानने के लिए उसने मोबाइल ले लिया अब महेश से नंदिनी के हाल जान लेता | रामा पढ़ाई में भी मन लगाता और कारखाने में भी वो मन लगाकर काम करता। कोचिंग के हर टेस्ट में प्रथम आता और नतीजा ये हुआ कि 3rd अटेम्पट में उसने psc की परीक्षा पास कर ली, उसके सारे इंटरव्यू भी क्लियर हो गए और वो डिप्टी कलेक्टर बन गया। गांव से उसे शहर आये नौ साल हो गए थे, डिप्टी कलेक्टर बनने के बाद उसका मन तो किया कि वो गांव जाये नंदिनी से मिले पर दिल ने कहा नौ सालों में वो तो मुझे भूल गई होगी अब तो पहचानेगी भी नहीं वो, पर आज भी वो महेश से फ़ोन कर नंदिनी के हाल-चाल लेता रहता।
एक दिन महेश ने बताया, यार मैं आज में गांव गया था , हवेली दुल्हन जैसी सजी थी पता किया तो मालूम पड़ा जमींदार की बेटी की शादी है मतलब नंदिनी की शादी, ये सुन रामा की सांसे थम गई उसने फ़ोन काट दिया सोचने लगा नंदिनी हमेशा के लिए अब पराई हो जाएंगी, क्या करूँ ...वो कार में बैठा और चल पड़ा गांव।
शाम हो चुकी थी हवेली में मेहमान आ रहे थे, नंदिनी का भाई गेट पर उनका स्वागत कर रहा था, जैसे ही रामा गेट पर पंहुचा , सुमेर ने पूछा आप कौन मैंने पहचाना नहीं रामा ने गुस्से से कहा भूल गए, मैं रामा, उस गरीब किसान का बेटा जिसको तुम्हारे बाप ने इतना प्रताड़ित किया कि उसने फांसी लगा ली, उसकी सजा तो मैं तुम्हें दिलवाकर् रहूँगा | सुमेर ये सुन बौखला गया और बोला, तू दो कोड़ी का फिर यहाँ चला आया अब क्यों आया है तू यहाँ और उसने रामा कि कॉलर पकड़ ली। ये देख रामा के बॉडी गार्ड आये और छुडाने लगे और बोले छोडिये इन्हें. नहीं तो हमें पुलिस बुलानी पड़ेगी। सुमेर ने तैश में कहाँ, बुला लो कौन है ये इसकी औकात ही क्या है और तुम क्या मैं पुलिस बुलवाता हूँ तब बॉडी गार्ड ने कहा, ये इस जिले के नए डिप्टी कलेक्टर है ये
सुन सुमेर हैरान हो गया, रामा ने सुमेर् से कहा मुझै आखिरी बार नंदिनी से मिल लेने दो मैं उससे बात करना चाहता हूँ बस, ये सब सुन नंदिनी भी आ गई,
रामा को देख दौड़ते हुए उसके गले से लग गई और रोने लगी। रामा ने कहा, नंदिनी मैंने वादा किया था मैं आऊंगा मैं आ गया मुझे लगा तुम तो मुझे पहचानोगी भी नहीं और हां में तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ।
उसने बॉडीगार्ड से गिफ्ट मंगवाया जो काफी बड़ा था, नंदिनी ने जब वो गिफ्ट बॉक्स खोला उसमें से एक बड़ा सा टेडी बेयर और चॉक्लेट्स निकलीं जिसे देख वो रों पड़ी और बोली तुम्हे आज भी याद है और वैसे आज तुम इस कोट सूट में शाहरुख खान लगू रहे हो | रामा ने कहा, नंदिनी हमने एक-दूसरे से कभी इज़हार् नहीं किया पर आज मैं तुमसे कहना चाहता हूँ मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ पर जानता हूँ बहुत देर हो गई है अब तुम किसी और की होने वाली हो, आज तुम्हारी शादी जो है।
नंदिनी ने कहा, ये तुम क्या कह रहे हो मुझे पता था तुम आओगे एक दिन मैं वो वादा कैसे भूल सकती थी रामा तुमने ये सोच भी कैसे लिया आज मेरी नहीं मेरी बहन की शादी है। ये सुन रामा हैरान था, दोनों एक दूसरे की बाहों में समा गए किसी ने कुछ ना कहा। नंदिनी के पिता की आँखे भी नम हो गईं दोनों का प्यार देख और उन्होंने उसी मंडप में नंदिनी और रामा की शादी करवा दी, दोनों एक दूसरे को पा कर बहुत खुश थे, शादी के बाद अगले दिन दोनों ने साथ बैठ दिल तो पागल है फिल्म देखि और दोनों खूब हँसे नंदिनी ने रामा से पूछा, तुम इतने बड़े आदमी कैसे बन गए ? रामा ने कहा,जब भी मैं पढ़ाई करता तो तुम्हारा ही चेहरा नज़र आता और तुम्हें पाने की इच्छा बढ़ती जाती जिस कारण में दिन-रात मेहनत करता और तुम्हें पाने की ज़िद में पता
नहीं कैसे यहाँ तक पहुंच गया।
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