तुम्हारा पति हूँ मालिक नहीं
नमस्ते दोस्तों आज मै एक बार फिर आप के बीच लेकर आया हूँ एक बेहद ही
प्यारी emotional story
Love Stories तो इसे कृपया पूरा पढ़े और केसी
लगी ये कहानी जरुर बताये :ये कहानी ह नीरव और सुनंदा प्यार की कि कैसे मिले वो तो आइये इसे में
और आप साथ पढ़ते है ओर जानते है कि क्या है नीरव और सुनंदा की emotional story
नीरव के ट्रांसफर की बात सुन सुनंदा को बड़ा गुस्सा आया, हर दो-तीन साल में नीरव का ट्रांसफर हो जाता खैर अब क्या करे नौकरी है जाना तो पड़ेगा,
सामान सारा पैक हो गया, टूक से सामान उतरवाते हुए सुनंदा थक कर चूर हो गई थी, ये तो यह सामान लाने वालों की जिम्मेदारी थी, फिर भी अपने जीवनभर की बसी-बसाई गृहस्थी को यों एक टुक में समाते देखना और फिर भागते हुए ट्रक में उस का हिचकोले लेना, यह सब झेलना भी कोई कम धैर्य का काम नहीं था, उस का मन तब तक ट्रक में ही अटका रहा था जब तक वह सही-सलामत सामान नहीं पहुंच गया था, ट्रांसफर होने से ज्यादा तकलीफ तो सुनंदा को ही होती जानता है जो इसे भुगतता है, सुनंदा को यह बिलकुल पसंद नहीं था क्योंकि ट्रांसफर से होने वाले दुष्परिणामों से वह अच्छी तरह परिचित थी बाकी सब बातों की परवाह ना कर के जिस् बात से सुनंदा ज्यादा विचलित रहती थी वो ये कि पुराने दोस्त छूट जाते हैं, वो गलीमहल्लों के रिश्ते पलक झपकते ही पराए हो जाते हैं I
और हम खानाबदोशों की तरह अपना सामान ले दूसरे शहर में जाने को मजबूर हो जाते हैं. अजनबी शहर, उस के तौर-तरीके अपनाने में काफी दिक्कत आती हैं, २-३ महीने तो रस्ते याद करने में बीत जाते, नए शहर में कोई परिचित चेहरा नजर नहीं आता, जिससे दुखसुख की बात करे किसी घर जाए और अपने घर बुलाए तो भी किसे ? नया शहर, नया घर उसे सब काटने को दौड़ता था। नीरव को इस से विशेष फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि उसे तो आते ही
ऑफिस ज्वाइन करना होता और वो व्यस्त हो जाता ऐसा हाल बेटे युग और बेटी ऋचा का था, वे दोनों भी अपने नए स्कूल व नई कौपी-किताबों में, खो जाते थे, रह जाती थी तो सुनंदा घर में बिल्कुल अकेली तन्हा, अपने अकेलेपन से जूझती,गह तो भला हो नई तकनीक का, जिस ने अकेलेपन को दूर करने के
कई साधन निकाल रखे हैं, सुनंदा उठते-बैठते फेसबुक व व्हाट्सऐप का आभार व्यक्त करना नहीं भूलती थी, उस की नजर में लोगों से जुड़ने के ये साधन अकेलापन तो काटते ही हैं, साथ-साथ स्वतंत्रता भी प्रदान करते हैं, खासकर औरतों को जो घर की चारदीवारी में रह कर भी वह अपने मन की बात इन के जरिए कर सकती ह किसी से, घर के काम ख़तम होने के बाद रोज की तरह सुनंदा अपना मोबाइल ले कर बैठ गई, उस में एक फ्रैंडरिक्वेस्ट थी, नाम पढ़ते ही वह चौंक गई. कुणाल त्रिवेदी उस ने बड़ी उत्सुकता से उस की प्रोफाइल
खोली तो खुशी व आश्चर्य से झूम उठी, अरे, यह तो वही कुणाल है जो मेरे साथ पढ़ता था,उस के मुंह से निकला उसके पापा का अचानक से ट्रांसफर हो जाने
के कारण वह किसी को अपना पता नहीं दे पाई थी और नतीजा यह था कि फेयरवैल पार्टी के बाद आ तक किसी पुराने दोस्त से नहीं मिल पाई थी। उस के मन का एक कोना अभी भी खाली था जिस में वह सिर्फ और सिर्फ अपनी पुरानी यादों को समेट कर रखना चाहती थी और आज कुणाल की भेजी गई फ्रैंडरिक्वेस्ट दिल के उसी कोने में उतर गई थी, उस ने फ्रैंड्ररिक्वेस्ट स्वीकार कर ली कुणाल की। फिर तो बातों का सिलसिला चल निकला और जब भी मौका
मिलता, दोनों पुराने दिनों की बातों में खो जाया करते थे,बातों ही बातों में सुनंदा को पता चला क कुणाल भी इसी शहर में रहता है और यहीं आसपास रहता है,सुनंदा ने नीरव को भी यह बात बताई तो नीरव ने कहा,यह तो बहुत अच्छी बात है, तुम हमेशा शिकायत करती थी कि आप के तो इतने पराने दोस्त हैं, मेरा कोई नहीं, अब तो खुश हो ना तुम्हे भी दोस्त मिल गया ? किसी दिन घर बुलाओ. उसे एक दिन सुनंदा ने कुणाल को घर आने का न्योता दिया, इस के बाद बातों के साथ-साथ मिलने-जुलने का सिलसिला भी शुरू हो गया, कुणाल
को जब भी फुरसत मिलती, वह सुनंदा से बात कर लेता और घर भी आ जाता था |कुणाल अकसर अकेला ही आता था घर , तो एक दिन नीरव ने कहा क्या बात है, आप एक बार भी भाभी और बच्चों को नहीं लाए उन को भी लाया करो तुम हमेशा शिकायत करती थी कि आप के तो इतने पराने दोस्त हैं, मेरा कोई नहीं, अब तो खुश हो ना तुम्हे भी दोस्त मिल गया ? किसी दिन घर बुलाओ. उसे एक दिन सुनंदा ने कुणाल को घर आने का न्योता दिया, इस के बाद बातों के साथ-साथ मिलने-जुलने का सिलसिला भी शुरू हो गया, कुणाल को जब भी फुरसत मिलती, वह सुनंदा से बात कर लेता और घर भी आ जाता था |कुणाल अकसर अकेला ही आता था घर , तो एक दिन नीरव ने कहा क्या बात है, आप एक बार भी भाभी और बच्चों को नहीं लाए उन को भी लाया करो यह सुन् कर कुणाल बोला, जरूर लाता, यदि वे होते तो? क्या मतलब, तुम ने अभी तक शादी नहीं की, नीरव ने कहा जबकि सुनंदा उस को बता चुकी थी कि वह शादीशुदा है और एक बेटे का पिता भी है। नीरव की बात सुन कर कुणाल झेंप
कर बोला,मेरा कहने का मतलब था- यदि वे यहां होते, दोनों अभी यहां शिफ्ट नहीं हुए हैं, स्कूल में एडमिशन की दिक्कत की वजह से ऐसा करना पड़ा, ठीक कह रहे हो तुम, बड़े शहरों में किसी अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाना भी आसान नहीं है, हम ने भी बहुत पापड़ बेले हैं बच्चों के ऐडमिशन के लिए अब कुणाल और नीरव में भी दोस्ती हो गई थी और स्थिति यह थी कि कई बार कुणाल बिना बुलाए खाने के समय आ जाता था,कुणाल के घर में आने से सुनंदा बहुत खुश रहती थी और बहुत ही मनुहार से उसकी खातिरदारी भी करती थी,एक बार खाने के समय जब कुणाल के बार-बार मना करने पर भी सुनंदा ने एक चपाती परोस दी तो नीरव से रहा नहीं गया और वो बोला खा लो, इतनी खुशामद तो ये मेरी भी नहीं करती सुनं मुझे कंपनी की ओर से 15 दिनों के टूर पर विदेश जाना पड़ेगा, मेरा मन तो नहीं है कि मैं तुम्हें और बच्चो को इस नए शहर में इस तरह अकेले छोड् कर जाऊं पर क्या करूं, बहुत जरूरी है नाना तो जाना ही पड़ेगा यह सुन कर सुनंदा को उदासी की परछाइयों ने घेर लिया,वह धम्म से पलंग पर बैठ गई और रोंआसा हो कर बोली,अभी तो मैं यहां ठीक
तरह से सैटल भी नहीं हुई हूं,आप तो जानते ही हैं कि आस-पड़ोस वाले सब अपने में मस्त रहते हैं, किसी को किसी की परवाह नहीं है यहां, ऐसे में 15 दिन अकेली कैसे रह पाऊंगी मैं बच्चो के साथ ओह,चिंता मत करो मैं जानता हूँ तुम सब संल लोगी,मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, और फिर दूसरे दिन ही नौवं अमेरिका चले गया और सुनंदा अकली रह गई,यों तो सुनंदा घर में रोज अकेली ही रहती थी. पर इस उम्मीद के साथ कि शाम को पति आएंगे, आज वह उम्मीद नहीं थी, इसलिए घर में उस सूनेपन का एहसास अधिक रहा था उसे खैर,
वक्त तो काटना ही था उसे बच्चों के साथ व्यस्त रह कर कुछ घरेलू काम निबटा कर सुनंदा अपना मन लगाए रखती पर बच्चे भी पापा के बिना बड़े अनमने हो रहे थे, नन्हीं ऋचा ने तो शायद इसे दिल से ही लगा लिया था नीरव के जाने
के बाद उस का खाना काफी कम हो गया था,वह बोज पूछती, पापा कब आएंगे? और सुनंदा चाह कर भी उसे खुश नहीं रख पाती थी,एक शाम ऋचा को बुखार आ गया,बुखार मामूली सा था, इसलिए सुनंदा ने घर पर रखी बुखार की दवा दे दी,फिर कुछ खिला कर सुला दिया पर आधी रात को ऋचा के
कसमसाने से सुनंदा की नींद खुली तो उस ने देखा, ऋचा का बदन बुखार से तप रहा था, उसने झट से थर्मामीटर निकला देखा बुखार 104 डिग्री था उसके के होशो-हवास उड़ गए,इतना " तेज बुखार, वह रोने लगी पर फिर हौसाला कर के उस ने नीरव को फोन लगाया संयोग से नीरव ने फोन तुरंत रिसीव किया, सुनंदा ने रोते-रोते नीरव को सारी बात बताई,नीरव ने कहा, घबराओ मत, ऋचा को तुरंत डाक्टर के पास ले कर जाओ,सुनं ने कहा,तुम जानते हो ना यहां रात के 1 बज रहे हैं, गाडी चलना आता नहीं है, एकमात्र पड़ोसी बाहर गए हैं, मैं और किसी को जानती भी तो नहीं इस शहर में क्या करूँ। कुणाल, हां, कुणाल है न, उसे फ़ोन करो,वह ....तुम्हारी मदद करेगा,पर नीरव , इतनी रात को,
मैं अकेली, क्या कुणाल को बुलाना ठीक रहेगा? इस में ठीकगलत क्या है ऋचा बीमार है,उसे डाक्टर को दिखाना जरूरी है, बस, इस समय यही सोचना जरूरी है पर फिर भी तुम किस असमंजस में पड़ गईं सुनंदा ? अरे, कुणाल अच्छा इंसान है, 2-4 मुलाकातों में ही मैं उसे जान गया हूं तुम्हारा दोस्त है, तुम उसे फ़ोन करो, मुझे किसी की परवाह नहीं तुम इसे मेरी सलाह मानो या आदेश
ठीक है, मैं फोन करता हूं,सुनंदा ने कह तो दिया पर सोच में पड़ गई, रात को 1बजे कुणाल को. फ़ोन कर के बुलाना उसे बड़ा अटपटा लग रहा
था कल को नीरव ने कुछ उसकें और कुणाल के बारें में सोच लिया तो वह सोचती रही, और कुछ देर. यों ही बुत बन कर बैठी रही,पर फोन करना जरूरी था, वह यह भी जानती थी,सो, उस ने फोन हाथ में लिया और नंबर डायल किया, घंटी गई और किसी ने उसे काट दिया,आवाज आई,यह नंबर अभी व्यस्त है...उस ने फिर डायल किया,...फिर वही आवाज आई,अब क्या करूं, वह तो फोन ही रिसीव नहीं कर रहा,चलो, एक बार और कोशिश करती हूं, यह सोच कर वह रिडायल कर ही रही थी कि डोरबेल बजी,इतनी रात, कौन हो सकता है? सुनंदा यह सोच कर घबरा गई,तभी उस के लैंडलाइन फोन की घंटी बजी उस ने डरते-डरते फोन उठाया,हैलो सुनंदा, मैं कुणाल दरवाजा खोलो, मैं बाहर खड़ा हूं,सुनंदा को बड़ा आश्चर्य हुआ कुणाल ने तो मेरा फोन उठाया ही नहीं किया, फिर यह यहां कैसे आया पर उस ने द्रवाजा खोल दिया कहां है ऋचा ?
कुणाल ने अंदर आते ही पूछा हैरान सी सुनंदा ने ऋचा के कमरे की ओर इशारा कर दिया, कुणाल ने ऋचा को गोद में उठाया और बोला, घर को लॉक करो,हम ऋचा को डाक्टर के पास ले चलते हैं,ज्यादा देर करना ठीक नहीं है गाड़ी
चलाते-चलाते कुणाल ने कहा, यह तो अच्छा हुआ कि आज मैं ने नीरव का फ़ोन उठा लिया वरना रात को तो मैं घोड़े बेच कर सोता हूं और कई बार तो फोन भी स्विच औफ कर देता हूं। अब रहस्य पर से परदा उठ चुका था यानी कि उस के फ़ोन से पहले ही नीरव का फ़ोन पहुंच चुका था कुणाल के पास ऋचा को डाक्टर को दिखा कर, आवश्यक दवाइयां ले कर सुनंदा ने कुणाल को धन्यवाद कह कर विदा कर दिया और फिर नीरव को फोन लगाया इस से पहले कि नीरवं कु बोलता, सुनंदू बोली,धन्यवाद, हमारा इतना ध्यान रखने के लिए और मुझ पर इतना विश्वास करने के लिए इतना विश्वास तो शायद मुझे भी
खुद पर नहीं है, तभी तो मुझे कुणाल को फोन करने के लिए इतना सोचना पड़ा। नीरव, बोला मुझे धन्यवाद कैसा? यह तो आदान-प्रदान है, तुम भी तो मुझे विदेश में इसी विश्वास के साथ आने देती हो कि मैं लौट कर तुम्हारे पास अवश्य आऊंगा,तो क्या मैं इतना भी नहीं कर सकता, यह विश्वास नहीं, प्यार है हमारा और मैं तुम्हारा पति हूँ मलिक नहीं जो तुम पर हमेशा रोक-टोक लगाऊ तुम्हे भी अपने जीवन को अपनी मर्जी से जीने का हक़ है |
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English translation
I am your husband not the boss
Hello friends, today I have once again brought you one very
Lovely emotional story
Love stories, please read it fully and how
Surely tell this story: This is the story of Nirav and Sunanda of love, how come they come in this
And you read together and know what is the emotional story of Nirav and Sunanda
Sunanda got angry after hearing about Nirav's transfer, every two-three years Nirav gets transferred, well what to do if you have to go to work,
The stuff was all packed, Sunanda was exhausted while getting the luggage off, it was the responsibility of those who brought it, yet to see her life-long settler family in one piece and then the truck running away I hesitated to take it, it was no less a matter of patience, his mind was stuck in the truck till it reached the safe and safe, more trouble than transfer to Sunanda. Hoti knows who suffers it, Sunanda did not like it at all because she was well aware of the ill effects of the transfer, regardless of everything else, Sunanda was more distracted by the fact that old friends would be missed. That is, those relationships of street women are lost in the blink of an eye.
And we are forced to take our goods like nomads to another city. Stranger city, there is a lot of difficulty in adopting its manner, for 2–3 months would have been spent in remembering the way, in the new city no familiar face can be seen, so that someone can go home and talk about the sadness. Whom also? New city, new house used to run to cut it all. Nirav was not particularly bothered by this because he would come
Had to join the office and he would get busy like this was the son of son Yuga and daughter Richa, both of them were also lost in their new school and new books, they used to be lonely lonely in Sunanda house, from their loneliness Battling, well, new technology, which has overcome loneliness
Many tools have been removed, Sunanda did not forget to express her gratitude to Facebook and WhatsApp in the wake of that, in her eyes, these means of connecting with people only cut loneliness, as well as providing freedom, especially to women Even while staying in the boundary of the house, she can speak her mind through these, after finishing the house work, Sunanda sat down with her mobile as usual, there was a friendquest in it, she was shocked as soon as she read the name. Has gone. Kunal Trivedi, his profile with great curiosity
Kholi was happy and surprised, hey, this is the same Kunal who used to study with me, suddenly his father got out of his mouth.
Due to this she could not give her address to anyone and the result was that Fairwell could not meet any old friend till after the party. One corner of her mind was still empty, in which she just wanted to keep her old memories intact and today, the sentry of Kunal had gone to the same corner of her heart, she accepted the frondrichvest. Then the conversation started and whenever there was a chance
Meet, both used to get lost in the old days, Sunanda came to know that Kunal also lives in this city and lives around here, Sunanda told this to Nirav as well, Nirav said, Very good thing, you always used to complain that you have so many friends, no one is mine, now you are happy or have you got a friend too? Call home someday. One day Sunanda invites Kunal to come home to her, after this, a series of interactions along with things started, Kunal
Whenever he would get leisure, he would talk to Sunanda and come home too. Kunal often came home alone, so one day Nirav said, what is the matter, you did not even bring the sisters-in-law and the children with them. Brought, you always used to complain that you have so many friends, no one is mine, now you are happy, have you got a friend too? Call home someday. One day Sunanda invites Kunal to come home to him, after this, a series of inter-things started, Kunal would talk to Sunanda whenever he got leisure and would come home. Kunal often used to come home alone, so one day Nirav said, what is the matter, you did not bring the sister-in-law and the children even once, do bring them as well. What do you mean, you are not married yet, Nirav said while Sunanda had told him that he was married and also the father of a son. Kunal blushed after listening to Nirav
Kar said, I meant to say - if they were here, both have not shifted here yet, due to the problem of admission in school, had to do so, you are right, you have to get admission in a good school in big cities. It is not easy, we have also sold a lot of papad for the admission of children. Now Kunal and Nirav had also formed a friendship and the situation was that Kunal used to come during dinner without being called many times, Sunanda coming to Kunal's house She used to be very happy and used to take care of him with great pleasure, once at a time when Sunanda served a chapati despite Kunal's refusal repeatedly, he could not stay away from Nirav and he said, eat so happy So it does not even listen to me, I have to go abroad on 15 days tour from the company, I do not want to leave you and children alone in this new city, but what to do, it is very important. Hearing this, Sunanda was besieged by the shadows of sadness, she sat on the bed with Dhamma and said as she did, right now I am right here
I haven't even settled in the way, you already know that everyone in the neighborhood stays cool, no one cares about anyone here, how will I be able to live alone for 15 days, oh don't worry with the kids Do, I know you all are involved, I have full faith in you, and then on the second day the ninth went to America and Sunanda remained unmoved, so Sunanda used to live alone in the house everyday. But with the expectation that the husband will come in the evening, today he was not expecting, so he had more feeling of that numbness in the house.
Time had to be spent, he kept busy with the children and did some household work, Sunanda would keep his mind on, but the children too were growing up without a father, even though Richa might have planted it from the heart of Nirav.
After her food had reduced drastically, she would ask Boj, when will Papa come? And Sunanda could not keep her happy even after wishing that, one evening Richa got fever, the fever was slight, so Sunanda gave the medicine of fever kept at home, then put some to sleep but in the middle of the night, Richa
Sunanda woke up with a swear, she saw, Richa's body was meditating with fever, she quickly saw a thermometer coming out, the fever was 104 degrees, her senses flew, so much "High fever, she started crying but cheered again He called Nirav immediately, incidentally, Nirav received the phone immediately, Sunanda told Nirav the whole thing crying, Nirav said, don't panic, take Richa to the doctor immediately, Sunan said, you know You are here at 1 o'clock in the night, the car does not know how to walk, the only neighbors have gone out, I do not know anyone else but what to do in this city. Kunal, yes, Kunal is there, call him, he. ... will help you, but noiseless, on such a night,
I alone, would it be okay to call Kunal? What is right in this, Richa is ill, it is necessary to show it to the doctor, just, it is necessary to think at this time, but still you are confused about what Sunanda? Hey, Kunal is a good person, in 2-4 visits, I know him is your friend, you call him, I do not care about anyone, do you accept my advice or order
Okay, I call, Sunanda said, but got into thinking, Kunal at 1 o'clock in the night. Calling and calling, he feels very strange
Yesterday, Nirav thought about him and Kunal, then she kept thinking, and for a while. Just sitting there as a fetish, but it was necessary to call, she also knew, so, she took the phone and dialed the number, rang the bell and someone cut it, the voice came, this number is busy now ... she dialed again, ... then the same voice came, what should I do, he is not receiving the phone, let's try one more time, thinking that she was redializing that the doorbell Rang, so many nights, who could it be? Sunanda panicked thinking that, when her landline phone rang, she raised the phone fearfully, Hello Sunanda, I open the door Kunal, I stand outside, Sunanda was surprised to see Kunal not picking up my phone. , Then how did it come here but where did he open the dravja?
Kunal asked as soon as he came in, surprised C. Sunanda pointed to Richa's room, Kunal picked up Richa in her lap and said, lock the house, we take Richa to the doctor, it's not okay to take too long car
Kunal said while walking, it is good that today I picked up Nirav's phone or else I sleep by selling horses and at times I even switch off the phone. Now the mystery had been lifted, that is, Nirav's phone had already reached his phone, showing Richa to the doctor near Kunal, taking the necessary medicines, Sunanda said thank you to Kunal and then left Nirav I called the phone before that Neeravana spoke, Sunandu said thank you so much for taking care of us and believing in me so much, maybe even me
Not on myself, that's why I had to think so much to call Kunal. Nirav, how did I thank you? It is an exchange, you also allow me to come abroad with the same belief that I will come back to you, so I cannot do that much, not this belief, love is ours and I am your husband It is not Malik who can always restrain you, you also have the right to live your life on your own free will.
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