पति मेरा काला गुलाब
नमस्ते दोस्तों आज मै एक बार फिर आप के बीच लेकर आया हूँ एक बेहद ही
प्यारी emotional Love Stories तो इसे कृपया पूरा पढ़े और कैसी
लगी ये कहानी जरुर बताये
प्रभास-प्रभास मैंने प्रेस के कपड़े निकाल कर पलंग पर रख दिए है,तू तैयार हो जा,अरे माँ मुझे नहीं जाना लड़की देखने कहा ना मैंने आपको, आप ज़िद मत करो | प्रभास की माँ ने कहा, देख बेटा बस ये आखरी बार फिर नहीं कहूँगी तुझे। प्रभास अपनी माँ का इकलौता लाड्ला बेटा उम्र ३0 साल,एक सॉफ्टवेयर कंपनी में मैनेजर, मद्यमवर्गीय परिवार से पर अब तक कुंवारा, शादी ना होने का कारण उसका काला रंग, उसकी माँ सुमित्रा महीने में २-३ बार उसे लड़कियाँ दिखाने ले जाती पर लड़की वाले उनकी अच्छी खातिरदारी करते और कहते एक-दो दिन में जवाब देंगे पर कोई जवाब ना आता, बेचारी सुमित्रा मन मसोस कर रह जाती सोचती कब बहु का सपना पूरा होगा | प्रभास एक बहुत समझदार, जिम्मेदार लड़का,काला होने के बावजूद भी उसके नयन नक्श काफी अच्छे थे पर लोग सीरत से ज्यादा सूरत को महत्व देते इसलिए बात कहीं जम ही नहीं पाती। लड़की आरुणि के यहाँ उसके चाचा-चाची, मम्मी-पापा,और लड़की की दादी थी, आरुणि रिलायंस कंपनी में नौकरी करती थी. ये सब जानने के बाद प्रभास समझ गया था कि यहाँ भी जवाब ना ही होगी खैर माँ का दिल रखने के लिए प्रभास तैयार हो गया | प्रभास और उसके माता-पिता लड़की को देखने गए, चाय नाश्ते के बादू बात-चीत का का दौर शुरू हुआ,प्रभास के पापा-मम्मी. ने आरुणि से बात की, आरुणि के पिताजी ने भी प्रभास से बात की पर आरुणि की चाची ने धीरे से आरुणि की माँ से कहा, भाभी कहाँ अपनी आरुणि चाँद सी और कहाँ ये लड़का कितना काला है,उसकी चाची की कही बात सब को सुनाई दी, इतने में प्रभास काला शब्द सुनकर चिढ़ गया, दरसल प्रभास ये काला शब्द बचपन से ही सुनता आ रहा था इसलिए उसे इस शब्द से नफरत हो गई थी, प्रभास ने चिढ़ते हुए कहा, चाची जी दाग तो चाँद में भी होता है ये मत भूलिए और रात भी काली ही होती है,यदि रात ना होगी तो आपका चाँद चमकेगा कैसे ..? प्रभास की मम्मी ने उसे चुप रहने का इशारा भी किया पर वो चुप ना हुआ। फिर प्रभास के पिता ने माहौल हल्का करने के लिए इधर-उधर की बातें की और फिर वे लोग अपने घर चले गए। घर जाने के बाद प्रभास की माँ ने कहा, तुझे क्या जरुरत थी ये सब कहने की, प्रभास ने कहाँ माँ देखा नहीं लड़की की चाची ने मुझे क्या कहा, और अच्छा ही हुआ रिश्ता ना हुआ जब घर के लोग ही ऐसे होंगे तो वो लड़की की होगी। आरुणि की चाची प्रभास के जवाब देने से चिढ़ गयी थी इसलिए वो भी बोली, एक तो काला और ऊपर से मुझे यूँ जवाब दे चला गया, मैंने क्या गलत कहा अच्छा हुआ हमारी आरु का रिश्ता ऐसे घर में ना हुआ । सब इस बात को भूल गए और अपने जीवन में व्यस्त हो गए, एक दिन शाम को आरुणि ऑफिस से घर जा रही थी, तब उसने देखा एक लड़का सड़क पर लिफ्ट मांग रहा है,
वो उसे देख पहचान गई वो था प्रभास, आरुणि ने हेलमेट लगाया हुआ था इसलिए प्रभास उसे पहचान ना सका, आरुणि ने उसे देख गाड़ी रोक दी, प्रभास ने कहा, मैडुम मेरी गाड़ी ख़राब हो गई है, गैरेज में सुधरने दी है तो वो मुझे कुल मिलेगी, आज बस और ऑटो की भी हड़ताल है,क्या आप मुझे लिफ्टू दे
सकती है ? आरुणि ने कहा, ठीक है। वो आरुणि की एक्टिवा पर बैठ गया,जब सिग्नल पर गाड़ी रुकी तब वहां एक बच्चा जिसके कपड़े फटे हुए से थे आरुणि
के पास आया और बोला दीदी, आज सुबह से कुछ नहीं खाया , कुछ पैसे दे दो ना, आरुणि ने कुछ ना कहा तो वो प्रभास से बोला भैया बड़ी जोरो की भूख लगी है कुछ पैसे देदो ना | प्रभास ने आरुणि से कहा, अगर आपको कोई समस्या नहीं हो तो २ मिनट आप गाड़ी साइड में रोक लेंगी, आरुणि भी देखना चाहती थी कि प्रभास क्या करना चाहता है, उसने गाड़ी साइड में ले रोक दी, प्रभास ने उस लड़के को आवाज़ दी और वहां साइड में ही एक पाँव भाजी
के ठेले पर ले गया और उसे पाँव भाजी खिलाई, और कहा अगले दिन मुझे शाम को इसी समय यही मिलना।
आरुणि ने ये सब देखा उसे बड़ा अच्छा लगा,फिर प्रभास उसके साथ गाड़ी पर बैठ गया, आरुणि ने पूछा आपने उसे पैसे क्यों नहीं दिए ? प्रभास ने कहा, मैं कभी भी किसी को पैसे नहीं देता, हमेशा जो उन्हें चाहिए वो मदद जरूर कर देता हूँ, क्यूंकि पैसे देने पर वे उन पैसों को किसी और काम में खर्च
कर देते हैं। आरुणि को प्रभास की ये बात बड़ी अच्छी लगी, आरुणि ने प्रभास को घर छोड़ा, प्रभास उसे थेंक्स कह चला गया। घर के अंदर जाने के बाद सोचने लगा, अच्छा हुआ माँ ने मुझे लड़की के साथ नहीं देखा नहीं, तो ना जाने क्या क्या सोचने लग जाती , आरुणि कुछ दूर गई कि उसने देखा प्रभास का बैग उसके एक्टिवा पर सामने की और रखा हुआ है दरसल जब वो उस बच्चे को पाँव भाजी की दूकान पर ले गया था तब उसने बैग वहीं पीछे सीट पर रख दिया था तो आरुणि ने उसे उठा कर आगे टांग दिया था | वो वापस प्रभास के घुर गई उसने दरवाज़े की घंटी बजाई, प्रभास की माँ ने दरवाज़ा खोला,आरुणि ने अभी भी हेलमेट लगाया हुआ था,उस ने बैग दिया और कहा, आप प्रभास को ₹ देना,प्रभास की माँ हैरान थी ये सुन प्रभास वो भी इस तरह एक लड़की के साथ.
शायद् उसकी गर्लफ्रेंड हो,उसकी माँ ने कहा, अरे बेटी आओ ना अंदर चाय पी कर जाओ |
उसकी माँ के जोर देने पर आरुणि अंदर चली गई, जैसे ही उसने हेलमेट निकाला प्रभास ही माँ हैरान हो गई उसे देख फिर उसकी माँ ने कहा, बेटी तुम ? आरुणि ने कहा, हां आंटी और बात करने लगी इतने में प्रभास भी आ गया। प्रभास भी उसे देख हैरान हो गया वो तो पहले से ही चिढ़ा हुआ था इसलिए बस इतना ही बोला कि तुमने मुझे लिफ्ट दी थी, उसने आरुणि से कोई बात ना की और अपने कमरे में चला गया।
प्रभास की माँ से आरुणि ने बहुत सारी बातें की, उस दिन के अपनी चाची के व्यवहार के लिए माफ़ी भी मांगी, प्रभास की माँ ने उस समय उत्तपम बना रही थी, उन्होंने आरुणि को भी खिलाया, आरुणि ने कहा, अरे आंटी आपने बहुत अच्छा बनाया, मुझे तो अच्छा बनता ही नहीं,कुछ देर बाद आरुणि चर्ली गई।
आरुणि के जाने के बाद जब प्रभास कमरे से बाहर आया तो माँ ने कहा, बड़ी अच्छी लड़की है और तू यहाँ क्यों नहीं बैठा उसके पास | माँ ज्यादा सपने मत देखो जानता हूँ तुम क्या सोच रही हो, और मुझे उस लड़की से चिढ़ है देखा नहीं कैसी थी उसकी चाची।
आरुणि घर चली गई पर रात को सोते समय वो प्रभास के बारे में सोचने लगी, अच्छा है पर पता नहीं क्यों मुझसे चिढ़ा हुआ है ? अगले दिन
ऑफिस व्यस्त हो गई घड़ी में देखा ६:३० बज रहे थे उसे याद आया कल प्रभास ने उस लड़के को सिग्नल पर मिलने को कहा था जा कर देखती हूँ आता भी है या नहीं या यूँही लड़की को देख अपना प्रभाव डालने के लिए तो नहीं कहा, वो वहां जा कर खड़ी हो गई उसने हेलमेट लगाया हुआ था जिससे प्रभास उसे पहचान ना सके, कुछ देर बाद वो बच्चा आ गया पर प्रभास का नहीं आया वो सोचने लगी बस युहीं कह दिया होगा उसने, फिर देखा तो प्रभास आ गया था उसने बच्चे को एक कम्बल, चप्पल और कुछ कपड़े दिए और फिर से उसे पावभाजी खिलाई।
वो उसे देखती रही, उसका मन भर आया कोई इतना दरियादिल कैसे हो सकता है ?इसके मन में प्रभास के लिए प्यार बढ़ने लगा था,अगले दिन फिर वो ऑफिस गई, लंच टाइम में उसकी सहेली का फ़ोन
आया कि ऑफिस के पास वाले कैफे में आजा, साथ कॉफी पीते हैं बहुत दिन हो गए मिले । दरसल उसकी सहेली अवन्ति पहले उसके ऑफिस में काम करती थी एक महीने पहले ही उसने पुराने ऑफिस के पास वाली ही बिलूडिंग में नया ऑफिस ज्वाइन किया था | आरुणि और अवन्ति दोनों कॉफ़ी शॉप में मिले, अवन्ति ने बताया उसका नया जॉब बड़ा अच्छा चल रहा है कोई टेंशन नहीं उसका प्रोजेक्ट मैनेजर बहुत अच्छा है,सबसे बहुत अच्छे से बात करता है,
कुछ गलती हो जाने या काम ना आने पर चिल्लाता भी नहीं उल्टा पास बैठ सब सिखाता है और लड़कियों की तरफ बुरी नज़रो देखता भी नहीं उनका सम्मान करता है,आरुणि ये सुन बोल पड़ी, वाह ऐसे लोग भी होते हैं दुनिया इतने में अवन्ति ने कहा, लो मैं जिसके बारें में इतनी बात कर रही वो यहाँ ही आ गया, देखा तो प्रभास अपने तीन सर्मियों के साथ बैठा था, आरुणि ने पूछा ये है तेरा प्रोजेक्ट मैनेजर, हां प्रभास नाम है, मैंने भी पहले दिन देखा तो सोचा कैसा काला है पर दिल का बहुत अच्छा है। आरुणि के दिल में प्रभास के लिए प्यार बढ़ने लगा था, वो उसके बारें में सोचने लगी थी, एक दिन रविवार को सुबह के समय वो प्रभास के घर गई, उसकी माँ से बोली आंटी आपने उस दिन उत्तपम बड़ा अच्छा बनाया था मुझे बहुत पसंद आया क्या आप मुझे सिखाओगी प्रभास की माँ हैरान थी वो समझ तो गई थी कहीं कुछ तो खिचड़ी पक रही है उन्होंने कहा हां क्यों नहीं, प्रभास आरुणि को अपने घर में यूँ देख हैरान था सोच रहा था कैसी लड़की है उत्तपम सिखने यहाँ आ गई ? वो हॉल में बैठ टीवी देख रहा था और आरुणि और उसकी माँ रसोई में थे आरुणि ड्राइनिंग टेबल पर बैठ उसे देख रही थी, उसका ध्यान सिखने में नहीं बल्कि प्रभास पर था।
कुछ देर बाद बोली अच्छा आंटी चलती हूँ, फिर आउंगी, जैसे ही जाने लगी उसका ध्यान प्रभास की तरफ होता है उसे देखने में वो टेबल से टकरा जाती है, और उसके पैर में चोट लग जाती है जिस कारण मुँह से चीख निकल जाती है, चीख सुन प्रभास उठ उसके पास आता है देखता है उसके पैर के अगूंठे में से खून निकल रहा है वो जल्दी से जा कर फर्स्ट ऐड बॉक्स लाता है उसे सोफे पर बैठा कर पट्टी करने लगता है, आरुणि का ध्यान चोट पर ना हो कर प्रभास पर होता है, प्रभास चिढ़ कर कहता है देख कर नहीं चल सकती थी क्या ? इतने में प्रभास की माँ कहती है बेटी ठीक तो हो ? आरुणि हां में गर्दन हिलाती है, फिर कहती है अच्छा आंटी मैं चलती हूँ, प्रभास की माँ उसे कहती
है तू आरुणि को कार से घर छोड़ दे, बेटी तेरी स्कूटी यही रहने दे बाद में ले जाना । प्रभास उसे घर छोड़ने जाता है, दोनों कार में अकेले होते हैं, आरुणि सोचती है कैसा अकुड़ है कुछ बोल भी नहीं रहा, तो वहीं पूछती है , मैंने ऐसा क्या किया है जो तुम मुझसे यूँ चिढ़े-चिढ़े रहते हो ? प्रभास चुप रहता है कुछ नहीं कहता।
कुछ देर बाद आरुणि फिर पूछती है, तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया ? प्रभास कहता है, उस दिन तुम्हारी चाची ने मुझे इस तरह काला कहु मेरे दिल को ठेस पहुंचाई तो उस घर के बाकी लोग कैसे होंगे इसलिए मैं तुमसे कोई बात नहीं करता।
आरुणि ने कहा, किसी एक के व्यवहार से बाकी परिवार के सदस्यों का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता तम कैसे सोच सकते हो कि घर के सब लोग ऐसे ही होंगे ? इतने में आरुणि का घर आ गया और वो कार से उतर कर बाय कह चली गई।
प्रभास घर वापस आ गया, उसने भी सोचा कि आरुणि ने सही कहा इसमें उसके या उसके परिवार की क्या गलती थी, उन्होंने तो उसे कुछ बुरा नहीं
कहा था तो फिर मैं उससे क्यों चिढ़ता हूँ। अगले दिन आरुणि ऑफिस जाने से पहले प्रभास के घर स्कूटी लेने आई, तब प्रभास ने उससे बड़े अच्छे से बात की,
आरुणि ये देख हैरान थी उसने प्रभास से पूछा, क्या बात है आज तुम इतने अच्छे से कैसे बात कर रहे हो ? प्रभास ने कहा, तुमने सही कहा था, जो भी हुआ उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, मैं फालतू ही तुमसे चिढ़ रहा था सॉरी।
आरुणि ने कहा, अच्छा तो क्या हम दोस्त बन सकते हैं? ये सुन प्रभास मुस्कुरा दिया, उसकी मुस्कुराहट से आणि को उसके सवाल का जवाब मिल गया था। उन दोनों में कुछ दिनों में अच्छी दोस्ती हो गई, कभी-कभी आरुणि प्रभास के घर भी आती या कभी वे दोनों ऑफिस के पास कैफ़े में मिलते। आरुणि के माता-पिता की शादी की सालगिरह आने वाली थी, वे इस खुशी में एक पार्टी रखने वाले थे, उससे पहले आरुणि अपने माता-पिता से कुछ बात करना चाहती थी, उसने अपने माता-पिता से कहा, पापा आपको याद है मुझे प्रभास नाम का लड़का देखने आया था, मैं उससे शादी करना चाहती हूँ मुझे वो बहुत पसंद है उसने सारी बातें अपने माता-पिता को बताई वे ये जान कर बहुत खुश हुए, वे इस रिश्ते के लिए राज़ी थे। आरुणि ने कहा, क्या मैं उन्हें पार्टी में बुला सकती हूँ ? उसके पिता ने कहा, हां बिलकुल | आरुणि ने प्रभास को पार्टी में आने का निमंत्रण दिया पर उसने मना कर दिया और कहा वहां तुम्हारी चाची
होगी वो फिर कुछ ना कुछ सुनाएंगी| आरुणि ने कहा, अब हम दोस्त है कोई कुछ नहीं कहेगा, एक दोस्त के कहने से तो तुम आ ही सकते हो और अंकल आंटी को भी साथ लाना । प्रभास और उसका परिवार पार्टी में जाता है, कुछ देर बाद आरुणि के पिता-माता और आरुणि उनके पास आते हैं और आरुणि के पिता कहते हैं मेरी बेटी आप से कुछ कहना चाहती है, आरुणि प्रभास की माँ से पूछती है, आंटी क्या आप मुझे अपने घर की बहु बनाएंगी ? ये सुन वे तीनो
हैरान हो जाते हैं, प्रभास को आरुणि पसंद थी पर उसने कभी ऐसा सोच नहीं था कि वो फिर आरुणि प्रभास से कहती है, मैं तुम्हें पसंद् करती हूँ। प्रभास कहता है, मुझे भी तुम पसंद हो पर कहाँ मैं और कहाँ तुम ? आरुणि कुहती है,
लोग हमेशा सूरत देखते हैं सीरत नहीं मैंने आपका दिल देखा है जो एक गुलाब के फूल की तरह कोमल है जिसमें सबके लिए दया,प्रेम है। अच्छा तो फिर आज से ये काला गुलाब मेरा हुआ और फिर सब हंसने लगते है। दोनों की शादी तय हो गई, शादी के बाद जब भी कोई कहता कि आरुणि का पति काला है तो ये सुन वो यही जवाब देती मेरा पति काला गुलाब है, जिसका दिल बहुत ही कोमल है,आरुणि प्यार से प्रभास को काला गुलाब बुलाती और दोनों खूब हँसते।
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