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Hindi Love story हमसफर

                                                 हमसफर


देखते-देखते शादी का एक साल गुजर गया पर बड़ी मुश्किल से इस पुरे एक
साल में हनीमून के बाद बस ३ से ४ बार ही घूमने गए थे बड़ा गुस्सा आता हैं हर बार रविवार को सोचती हूँ कहीं तो जाउंगी पर हर बार की तरह घर के काम खत्म करने के बाद पति के बहाने आज नहीं फिर कभी चलेंगे मैं बहुत थक सा गया, ये तो बस बहाना हैं क्यूंकि महाशय को किताबों का, दोस्तों से गपशप करने का बड़ा शौक है, हर रविवार सुबह से ही जनाब बस अपने पसंदीदा उपन्यास ले कर बैठ जाते है और और नहीं तो किसी से फ़ोन पर बात करते रहते है बड़ी ऊब सी गई हूँ पल्लवी मन ही मन बड़बड़ा रही थी क्यूंकि आज रविवार हैं और कुणाल : फिर से किताब पढने में व्यस्त है चाय का कप ले कर पल्लवी बेडरूम में गई और बोली कुणाल बस अब बंद करों ये किताब कितनी देर से पढ़ रहे हो चलों कहीं बाहर चलते है बस पल्लवी एक पन्ना और फिर बंद कर दूंगा जब तक तुम. सैंडविच बना दो तुम्हारी कसम ।
                फिर बंद कर दूंगा पल्लवी सैंडविच बनी के लाई अभी भी कुणाल किताब में ही मुँह छिपाये बैठा था पल्ल्वी ने कहामैं ये नहीं कहती कि बाहर चलो मैं जानती हूँ कि तुम थूक जाते हो पुर घर पर ही तुम छुट्टी वाले दिन मेरे
साथ समय बिता तो सकते हो छुट्टी वाले दिन भी तुम्हारा घर पर होना ना के बराबर ही होता है मैं कितना बोर हो जाती हूँ पुरे ६ दिन इंतज़ार । करती हूँ, कुणाल किताब एक तरफ रख बोला, क्या करूँ ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलती और अपने लिए समय नहीं मिलता ना इस बार सोच रहा हूँ
तुम्हारे जन्मदिन पर क्यों ना हम घुमने गोवा चले, पल्लवी जानती थी हर बार की तरह बस प्लान बनाया जा रहा है, जाना तो कहीं है नहीं इसलिए गुस्से से बोली मुझे कहीं नहीं जाना तुम तो एक काम करों मेरा इंदौर का टिकट करवा दो और व्यस्त रहों अपनी किताबों में, इतना बोल पल्लवी रसोई में चली गई,
कुणाल उसको देखता रह गया, सोचा बाद में मना लूंगा| सुबह जल्दी-जल्दी
से नाश्ता कर कुणालू ऑफिस चला गया, पल्लवी का मुँह अभी भी फुला हुआ था, कुणाल ने सोचा शाम को पल्लवी को ऑफिस से जल्दी आ कर मूवी और शॉपिंग पर ले जा के सरप्राइज दूंगा इसलिए बिना कुछ बोले ऑफिस चला गया, शाम को ऑफिस से लौटते वक़्त कुणाल ने पल्लवी के लिए उसके पसंदीदा चॉकलेट डोनट लिए और रोज भी लिए, मूवी के टिकट भी बुक कर दिए थे,
घर आया तो देखा दरवाज़े पर ताला लगा हैं सोचा शायद पल्लवी नीचे अपनी सहेलियों के साथ घूम रहीं होगी आ जाएगी थोड़ी देर में एक चाबी कुणाल के पास होती है इसलिए दरवाज़ा खोल लिया और पल्लवी का इंतज़ार करने लगा,
देर हो जाने पर उसने पल्लवी को फ़ोन लगाया एक-दो बार फ़ोन लगाने के
बाद पल्लवी ने फ़ोन नहीं उठाया, इस पर कुणालं की चिंता बढ़ गई उसने ...
थोड़ी देर बाद फिर फ़ोन लगाया इस बार फ़ोन उठा लिया गया पर फ़ोन पर पल्लवी नहीं कुणाल के पिताजी थे बोले बहु यहाँ सकुशल पहुंच गई है हम सब
उसके इस सरप्राइज से खुश हुए बहु ने बताया कि वो बहुत बोर हो गई थी और हम सबकी याद आ रहीं थी इसलिए कुछ दिनों के लिए यहाँ आ गई, इतना बोल पिताजी ने फ़ोन रख दिया कुणाल को बहुत गुस्सा आ रहा था कि पल्लवी ऐसा कैसे कर सकती हैं माना मैं उसको समय नहीं दे पा रहा था इसका मतलब ये नहीं कि वो बिना बताए चली जाये, अब मैं उसको कॉल नहीं करूँगा जैसी गई हैं खुद् आ जाएगी, गुस्से से पलंग पर जा कर सो गया कब नींद लग गई पता ही ना चला सुबह ७ बजे घड़ी के अलार्म से नींद खुली, अलार्म बंद कर फिर से सो गया, कुछ देर बाद दरवाज़े की घंटी बजी तो पल्लवी को आवाज़ लगा ने लगा फिर याद आया पल्लवी तो हैं ही नहीं आँखे मसलते हुए दरवाज़ा खोला तो देखा कि घर के काम करने वाली सुम्मी है सुम्मी ने अंदर आते ही पूछा दीदी कहाँ है कुणाल ने कहा दीदी घर गई है कुछ दिनों के लिए, ऐसा करो चाय नाश्ता बना दो ठीक है भाइयाँ सुम्मी ने कहा और कपड़े कौनसे धोने है सुम्मी ने पूछा, कुणाल ने कहा मैं कल दे दूंगा, आज दीदी पगार देने वाली थी, कितने हुए बता दो दे देता हूँ, कुणाल चिढ़ सा गया, कितने सवाल करती हो चुपचाप काम करों बोल कमरे में चला गया ऑफिस जाने में देरी हो गई थी तैयार हो के आया तो टेबल पर देखा नाश्ते में ब्रेड बटर और चाय थी देख मुँह सा बन गया बोला सुम्मी कुछ और बना देती भाइयाँ रोज़ तो दीदी नाश्ता बनाती हैं इसलिए कुछ समझ नहीं आया यहीं बना दिया, नाश्ता कर ऑफिस चला गया पूरा दिन ऑफिस में मन नहीं. लगा सुबह नाश्ता भी अच्छा नहीं मिला और आज खाना भी ऑफिस कैंटीन में खाना पड़ा रोज़ तो पल्लवी टिफिन दे देती थीं, घर आया रात को खाना बाहर से बुला लिया टीवी लगाई पर मन ना लगा किताब उठाई पर एक पन्ना भी न पड़ा पलंग पर जा के सो गया पल्लवी की याद आ रहीं थी
ऐसे ही पुरे ६ दिन निकल गए रविवार भी चला गया ना तो किताब पड़ी ना ही
किसी दोस्त से बात की, शाम को ऑफिस से आया और छत पर चला गया सारे पौधे जो पल्लवी ने लगाए थे सुख से गए थे, सिगरेट निकाली पीने लगा देखते देखते पूरा पैकेट पी गया, पल्लवी होती तो कितना चिल्लाती सिगरेट पीता देख, सुबह का घूमना भी बंद हो गया,अच्छे से खाना भी ।
                नहीं मिल पा रहा था पल्लवी बिना जीवन में कुछ नहीं था, नीचे आया और सो गया सुबह अलार्म से नींदू खुली, सुम्मी आ गई थी चाय बना दी,
कुणाल चाय का कप ले पेपर देख रहा था पेपर पर तारीख देख याद आया कि
कल पल्लवी का जन्मदिन हैं नहाने चला गया कुछ कपड़े बैग में डाले और सुम्मी को कहा तुम १ महीने बाद आना हम छुट्टी पर जा रहे कार ले ऑफिस गया १ महीने कि छुट्टी ली, कार में बैठा तो याद् आया कि पापा को फ़ोन कर बता देता हूँ पापा को फ़ोन किया-पापा मैं घर के लिए निकल रहा हूँ पल्लवी को मत बोलना- सरप्राइज दूंगा शाम तक आ जाऊंगा, उधर कुणाल के पापा हँसने लगे और बोलें, तुम दोनों कितने पागल हो तुमने उसे इतने दिन फ़ोन नहीं किया और अब आ रहे हो लेने और वो पगली बस. में बस में बैठी हैं तुम्हारे  पास आने के लिए, कुणाल को कुछ ना सुझा बस मुस्कुरा सा दिया अच्छा। पल्लवी कब तक आ जाएगी मैं उसे लेने बस स्टैंड चला जाऊंगा शामको ५ बजे तक, अच्छा सुनो बेटा एक बात याद रखना, हम जीवन में घर पैसा, कामयाबी और अपनों को अच्छा जीवन देने के लिए बहुत मेहनत करते हैं पर इन सब बातों में
अपनों को समय देना भी जरुरी है जी पापा में समझ गया कुणाल ने कहा,
पल्लवी आ जाएगी तो फ़ोन कर आपको बता दूंगा, फ़ोन रंख कार में . बैठा और जल्दी से कुणाल घर आया सारा घर साफ़ किया जल्दी-जल्दी और फिर बाजार जा कर केक और फूल लिए और घड़ी भी ली पल्लवी के लिए, घर आया तैयार हुआ और बस स्टैंड गया खड़ा हुआ ही था कि आवाज़ आई
कुणाल कुणाल पीछे मुड़ के देखा तो पल्लवी थी चहेरा उसे देख खिल
सा गया और उसकी तरफ दौड़ कर गया सामान ले लिया कार में बैठ पल्लवी और कुणाल ने एक दूसरे को गले से लगाया दोनों कि आँखे नम थी क्यूंकि दोनों जान चुके थे वो  दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे, कुणाल ने पल्लवी को घड़ी और रोज़ दे दिए पल्लवी ने कहा मैं भी तुम्हारे लिए कुछ लायी हूँ, कुणाल
ने पूछा क्या लाई हो पल्लवी ने एक किताब निकाली और कुणाल को दिखाई ओहो लव स्टोरी, कुणाल ने मजाक में कहा आज तो मंगलवार हैं पल्लवी अब रविवार को इसे पढूंगा, पल्लवी ने भी मज़ाक में मुँह फुल्ला लिया और कुणाल
की तरफ ना देखने का नाटक करने लगी, कुणाल ने पल्लवी को खींच के
बाहो में ले लिया और बोला हम् २ दिन बाद गोवा जा रहे हैं ८ दिनों के लिए और वहाँ से जहाँ तुम बोलों वहाँ चलेंगे मैंने १ महीने कि छुट्टी ले ली हैं पल्लवी बड़े ही आश्चर्य से बोली सच में कुणाल, कुणाल ने कहा हां अब पूरा समय १
'महीने का सिर्फ तुम्हारी. पल्लवी बहुत खुश थीं मिल गया उसको कुणाल और उसका समय जो उसे चाहिए था. इतने में रेडियो पर गाना बजने लगा लो सफर पूरा हो गया मेरा हमसफ़र तू हो गया..दोनों जोर-जोर से हँसने लगे। अब चाहे कुछ भी हो पर कुणाल पल्लवी के लिए थोड़ा समय तो निकल लेता हैं
जिससे वो पल्लवी के साथ समय बिता सके उसे खुश रख सके।

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