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Hindi Love story मैं देवकी, तू यशोदा !!

                                   मैं देवकी, तू यशोदा !!


नमस्ते दोस्तों आज मै एक बार फिर आप के बीच लेकर आया हूँ एक बेहद ही
प्यारी emotional Family Story तो इसे कृपया पूरा पढ़े और कैसी
लगी ये कहानी जरुर बताये :ये कहानी है  मैं देवकी, तू यशोदा

अम्माजी की के दो बेटे नरेश और विमल, दोनों ही सरकारी नौकरी में, घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी। नरेश की शादी निम्मो से हुए दो साल से ज्यादा हो गए थे.पर अभी तक निम्मो की गोद सुनी थी। अम्माजी निम्मो पर रोज़ तानो की बौछार करती कहती कब पोते का मुँह दिखाएंगी, कहीं तू बाँझ तो नहीं

जो अब तक खुशखबरी ना दे सकी। कुछ समय बिता अम्मा ने विमल की भी शादी कर दी, विमल की पत्नी लाली दिखने में सुंदर पर थोड़ी आलसी थी उसे

घर के कामों में जरा भी रूचि नहीं थी, घर के सारे काम निम्मो के ही ऊपर आ गए थे पर लाली अपनी शनी को बड़ा प्यार और सम्मान देती उसे अपनी बहन की तरह रखती। लाली को शादी कर आये हुए ६ महीने भी ना हुए अम्माजी उस पर बच्चे के लिए दबाव डालने लगी हर समय कूहती बड़ी ना सही तू तो पोते का सुख दे दे, लाली बोलने में मुंहफट थी वो भी कह देती अम्मा ये सब भगवान् के हाथ में होता है जब उसकी मर्जी होगी तब ही इस आँगन में किलकारियां गूंजेगी I

              एक दिन निम्मो को उठने में देरी हो गई, उसकी तबियत ठीक ना थी

अम्माजी उस पर बरस पड़ी, घर के काम भी ठीक से ना होते इस बाँझ से मुफ्त की रोटी खा रही है बस यहाँ रह कर,किस काम की है तू,जी तो करता है तुझे घर से बाहर निकाल अपने बेटे का ब्याह किसी और से कर दूँ, ये सुन लाली तिलमिला गई और अम्माजी से उलझ पड़ी बोली अम्माजी किसने कहा, भाभी बाँझ है आज नहीं तो कल देख लेना वो खुशखबरी जरूर देगी और हो सकता है कमी जेठानी जी में नहीं जेठजी में हो ये कैसे कह सकती है आप और जन्म मृत्यु भगवान् के हाथ में है, हम कितनी भी कोशिश कर लें पर जब भगवान् को हमें वो सुख देना अम्माजी ये सुन भड़क गई और बोली, कल की आई हुई त,अपनी जेठानी के लिए मुझ से जबान लड़ा रही हैं,जब तुझे जरुरत डेगी तब देखुंगी तेरी ये जेठानी तेरा कितना साथ निभाती है। ये देख निम्मो की आँखे भर आई उसके पति तक का मुँह उसके लिए अम्माजी के आगे नहीं खुलता,आज उसकी देवरानी उसका पक्ष लेने के लिए उसके साथ थी। दोनों बहनों की तरह रहती, दिन बीत रहे थे, लाली गर्भवती हो गई और एक महीने बाद पता चला निम्मो भी गर्भवती है,घर में खुशियां ही खुशियां आ गई , देखते-देखते 8 महीने बीत गए अम्माजी निम्मो के पति के साथ अपनी बहुन के बेटे की शादी में गई थी,लाली को बच्चा होने की तारीख नजदीक थी पर तब ही अचानक से रात के

समय निम्मो को लेबर पैन शुरू हो गए,लाली और उसका पति उसे अस्पताल ले गए पर कुछ देर के बाद लाली को भी लेबर पैन शुरू हो गए । विमल अकेला सब संभाल रहा था निम्मो को बेटी हुई और कुछ देर बाद उसकी बेटी की मृत्यु हो गई और लाली को बेटा हुआ |अम्माजी शादी से आ गई, पोते की खुशी से फूली ना समाई,अम्माजी ने वहां से आने के बाद निम्मो की तरफ देखा तक नहीं

और अम्माजी उसे बच्चे के पास फटकने भी ना देती पर ख़ुशी के इस माहौल में किसी ने ध्यान ना दिया । 

           अम्माजी का बर्ताव निम्मो के प्रति बुरा होता जा रहा था, यदि लाली अपने बेटे को निम्मों की गोद में देती तो अम्माजी उसे छीन अपनी गोद में ले

लेती बेचारी निम्मो मन ही मन घुट कर रह जाती,उसे बच्चे को अम्माजी हाथ तक ना लगाने देती। 

           एक साल बीत गया,मुन्ने का जन्मदिन था इसलिए अम्माजी ने पूजा रखी थी, मोहल्ले की सारी औरतों को बुलाया, पूजा की सारी तैयारियां निम्मो ने की, वो बिना किसी द्वेष और विलाप के सारी तैयारियों में लगी थी। पूजा शुरू होने के कुछ देर पहले अम्माजी ने निम्मो से कूहा,जब तक पूजा हो नहीं जाती तू अपने कमरे में ही रहना बाहर मत आना | निम्मो ने पूछा, पर क्यों अम्माजी ? अम्माजी ने कहा, तू अपशगुनी है मैं नहीं चाहती कि तेरी परछाई भी लाली और उसके बच्चे पर पड़े समझी, अपनी सास के मुँह से ये कुठोर शब्द सुन उसकी आँखे भर आई वो कमर में ही बैठी रही।पूजा शुरू होने वाली थी कि लाली ने अम्माजी से पूछा, भाभी कहाँ है ?

             उस अपशगुनी को उसके कमरे में रहने दे उसका यहाँ क्या काम, चल तू पूजा में बैठ अम्माजी ने कहा ताली ने आश्चर्य से कहा अम्माजी ये आप क्या कह रही है ?अम्माजी ने कहा, हां ठीक ही तो कह रही हूँ वो अपशकुनी अपने बच्चे को ही खा गई। बस अम्माजी चुप हो जाइये, लाली ने जोर से कहा, अम्माजी हैरानी से उसका मुँह देखने लगी और बोली तू उसके लिए मुझसे जबान लड़ा रही है। तभी अचानक से विमल ने अम्माजी का हाथ पकड़ा और उन्हें कमरे में ले गया और बोला अम्मा लाली ने पहले भी आपसे कहा है कि जन्म और मृत्यु भगवान के हाथ में है इंसान के नहीं और जिर्स औरत को आप अपशगुनी कह रही है जानती है..उसने अपनी ममता का बलिदान दे कर लाली की गोद ख़ुशी-खुशी भरी है,बच्चा भाभी ने नहीं लाली ने खोया है, मुन्ना लाला का नहीं भाभी का बेटा है। जिस रात भाभी को लेबर पैन हुआ हम अस्पताल गए, पर कुछ देर बाद लाली को भी लेबर पैन शुरू हो गया, पर भाभी ने पहले ही बच्चे को जन्म दे दिया था, कुछ देर बाद पता चला लाली को बेटी हुई थी, पर बच्ची को बचा ना सके,लाली की तबियत ज्यादा खराब होने के कारण उसने फिर से माँ बनने का सौभाग्य भी खो दिया, मैं बहुत उदास हो गया और भाभी के कमरे में गया, जब भाभी को ये सब बताया तो उन्होंने कहा, देवरजी लाली बेहोश है तब तक आप मेरे बेटे को लाली के पास रख दे, ये सुन मैं हैरान हो गया और बोला भाभी ये आप क्या कह रही हो ? तब भाभी ने कहा, मैं नहीं चाहती की कोई लाली को कुछ कहे, ताने दे, मैं आज नहीं तो कल फिर से गर्भवती हो जाउंगी बच्चा रहना तो घर में है चाहे तेरे पास रहे या लाली के पास और लाली मेरी बहन समान है,मैं उसे दुखी नहीं देख सकती और आपको मेरी कसम किसी से कुछ मत कहना और फिर मैंने भाभी का बेटा लाली को दे दिया| ये सुन अम्माजी हैरान हो गई, कोई माँ इतना बड़ा त्याग कर सकती है सोच लगी। तब ही देखा दरवाज़े पर लाली खड़ी है, उसने सब सुन लिया था ये सुन लाली रोने लगी और अम्माजी से बोली याद है आपने एक दिन मुझसे कहा था कि अपनी जेठानी के लिए मुझ से जबान लड़ा रही है, जब तुझे जरुरत पड़ेगी तब देखूगी तेरी ये जेठानी तेरा कितना साथ निभाती है, देख लिया आपने

उनका त्याग, उनका प्यार । लएली ने पलने में से, मुन्ने को उठाया और निम्मो की गोद में दे दिया, भाभी मुन्ना आपका है सम्भालिये इसे ..और पूजा में आप

और भैया बैठेंगे मुझे माफ़ कर दीजिये मैं आपको दुःख में नहीं देख सकूती । निम्मो ने कहा, मैं एक शर्त पर माफ़ करूँगी तुझे,पूजा में तो हम चारो बैठेंगे पर मुन्ने की माँ तो तू ही होगी और वो तेरी गोद में ही रहेगा आज से मुन्ने के लिए मैं देवकी और तुम यशोदा बोलो दोर्गी न मेरा साथ,बिना कुछ कहे ही लाली अपनी जेठानी के गले से लग रो पड़ी,अम्माजी का अपनी बहुओं का प्रेम देख आँख भर आई, उन्होंने फिर दोनों से कुछ ना कहा | मुन्ना बहुत भाग्यशाली था उसे दो माँओं का प्रेम मिला,दो साल के बाद निम्मो की गोद फिर से हरी हो गई और एक बेटी को जन्म दिया और लाली ने हमेशा मुन्ने को माँ की तरह


प्रेम दिया, ये जानने के बाद भी कि वो उसका अंश नहीं फिर भी कभी उसका प्रेम कम ना हुआ |



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