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Hindi love story /uljhan / सच्चे प्यार की कहानी

  नमस्ते दोस्तों आज मै एक बार फिर आप के बीच लेकर आया हूँ एक बेहद ही

प्यारी emotional Love Stories तो इसे कृपया पूरा पढ़े और कैसी
लगी ये कहानी जरुर बताये :ये कहानी है भावेश और रागिनी के प्यार की कि कैसे मिले वो तो आइये इसे में |और आप साथ पढ़ते है 

            सच्चे प्यार की कहानी|Emotional Love story hindi

रागिनी का आज कॉलेज का पहला दिन था, वो इसदिन  को लेकर बहुत. ही खुश थी नए दोस्त, नया माहौलरामिनी के कॉलेज में प्रवेश करते ही उसकी मुलाकात् भावेश से हुई,ऊंचा कद, गोरा, घने बाल दिखने में आकर्षक,रागिनी उसे देख कहीं खो गई थी,भावेश ने रागिनी को नहीं देखा और पास से निकल गया, अचानक से एकलड़की आई और हंस कर बोली, क्या देख रही हो कॉलेज की हर लड़की उस पर इसी तरह फ़िदा है पर वो ज्यादा किसी को घास नहीं डालता है,हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली, हेलो, आए ऍम रुचिका, B.Sc सैकंड ईयर,ओह फिर तो आप मेरी सीनियर हुई मेरा नाम रागिनी है, अच्छा न्यू एमिशन

रुचिका ने कहा, अच्छा क्लास का समय हो गया चलती हूँ रागिनी ने कहा।
रागिनी अब रोज़ भावेश को छुप-छुप के देखती और सोचती कहा मैं और
कहाँ वो सुंदर सा राजकुमार जैसा, वो मुझे देखेंगा भी नहीं । एक दिन कॉलेज में गायन प्रतियोगिता थी,रागिनी बहुत अच्छा गाना गाती थी उसने गाना गाया, वहां भावेश भी था,उसकी आवाज़ ने उसका दिल छू लिया,कॉलेज में सबने उसकी बहुत तारीफ भी की और भावेश का ध्यान रागिनी की तरफ जाने लगा, उसके नैन, नक्श,.सादगी, उसको आकर्षित कर रहे थे एक दिन जोरों से बारिश हो रही थी 'रागिनी बस स्टॉप पर खड़ी बारिश की बूंदो से खेल रही थी








, भावेश
बाइक ले कर कॉलेज से घर जा रहा था अचानक से रागिनी को देखा और रुक
गया कुछ देर दूर से रागिनी को बारिश की बूंदो से खेलते देख उसको सुकून मिल रहा था, फिश पास जा कर कहा हैलो रागिनी मेरा नाम भावेश है, मैंने तुम्हें गाना गाते कॉलेज में देखा था इसलिए तुमको जानता हूँ, रागिनी बिलकुल मौन थी समझ ही नहीं आ रहा था सपना है या हक़ीक़त, भावेश ने कहा आपको कहाँ जाना है चलो मैं छोड़ देता हूँ,रागिनी चुप चाप बाइक पे बैठ गई और बता दिया कहाँ जाना है, रागिनी को मानों जैसे पंख लग गए हो, बाइक भावेश,और ऊपर से बारिश, भावेश ही बोले जा रहा था, रागिनी को समझ ही नहीं आ रहा था बस लग रहा था वक़्त थम सा जाये,देखते-देखते हॉस्टल आ गया, रागिनी
'बाइक से उतरी और भावेश को धन्यवाद् कहा और बाय बोल अपने हॉस्टल में चली गई, हॉस्टल की कुछ. लडकियाँ जो उसकी रूममेट थी उसको छेड़ने लगी, ओहो आज तो कॉलेज के सबसे हैंडसम लड़के के साथ बारिश में,रागिनी ने कहा चुप रहो ऐसा कुछ नहीं है पर मन ही मन लडडू फुट रहे थे, उधर भावेश भी बस रागिनी की यादों में खोया था जो गाना रागिनी ने गया था उसको उसने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया था बस बार-बार वही सुनता रहता। अब रोज़ का हो गया भावेश रोज़ रागिनी को लेने जाता और छोड़ने भी जाता हॉस्टल, नज़रे.तो इज्हार कर चुकी थी बस इकरार बाकी था,रागिनी का आज आखिरी पेपर था उसके बाद वो गांव जाने वाली थी भावेश सुबह से बेचैन सा है,सोच रहा है,आज तो बोल ही दूंगा,जैसे ही रागिनी बाहर आई भावेश ने उसको कहीं क्या आज तुम रुक सकती हो मैं तुमको कुहीं ले जाना चाहता हूँ,उसने कहा माँ से पूछ कह बताती हूँ, माँ को फ़ोन लगाया और कहा आज मेरी सहेलियाँ रुकने को बोल रहीं है क्या मैं कल आ जाऊं इस पर माँ ने कहा ठीक है, पर कल आ ही जाना नहीं तो तू जानती है तेरे बाबूजी. को वो कितना गुस्सा करते हैं, उन्हें लड़कियों का ऐसा घूमना फिरना पसंद नहीं है वो तो पता नहीं तुझे कैसा शहर पढ़ने भेज दिया फोन रखने के बाद रागिनी ने भावेश से कहा चलो कहा चलना है। रागिनी, भावेश की बाइक पे सवार हो जाती है, 









रास्ते में वो रागिनी की पसंदीदा पानी-पूरी खाते हैं गन्ने का जूस पीते हैं और चलते जाते हैं भावेश रागिनी को गाना गाने का बोलता है, युहीं गुनगुनाते-२ घंटे के सफ़र के बाद वो एक समुद्र किनारे पर पहुंच जाते हैं शाम हो जाती है, सूरर्ज ढलने वाला होता है, रागिनी ने ऐसा नज़ारा पहले कभी नहीं देखा और बहुत खुश होती है देख कर।
थोड़ी देर बाद रागिनी रेत पर एक दिल बना देखती है जिसमें रागिनी और भावेश लिखा होता है और भावेश घुटने पर बैठ कर उसको कहता है क्या तुम जिंदगी के इस सफर में मेरी हमसफर बनोगी रागिनी? रागिनी बोलती है हाँ भावेश मैं तुमको बहुत पसंद करती हूँ, कुछ देर बाद बीच पर लाइट जल जाती है, अच्छा डिनर उनका इंतजार कर रहा होता है , सगिनी को भावेश बोलता है ये सब तुम्हारे लिए है,रागिनी बोलती है, इतना सब कैसे किया वो बताता है उसके पापा शहर के नामी बिज़नेस मैन हैं, पैसो की कोई कमी नहीं है। रागिनी जिसे ये
सब कभी पता ही नहीं था सोच में पड़ जाती है, फिर भावेश बोलता है कहाँ खो गई रागिनी, रागिनी सोच से बाहर आती है और फिर वो दोनों पूरी रात समुद्र के किनारे पर आसमान में चाँद तारे देख बिताते हैं पता ही नहीं चलता कब सुबह हो गई। भावेश रागिनी को बोलता है तुम रुक नहीं सकती क्या रागिनी बोलती है अब माँ नहीं रुकने देगी-जाना पड़ेगा , १०-१५ दिन की ही तो बात है, छुट्टियां खत्म होते ही आ जाउंगी तुम फ़ोन पर बात करते रहना, भावेश बोलता है ठीक है और जैसे ही कॉलेज ख़तम हो जायेंगे मैं घर में शादी की बात भी कर लूंगा रागिनी, फिर रागिनी को भावेशं बस स्टैंड ले जाता है और बस में बैठा देता है,
रागिनी बस में बैठी है पर थोड़ी चिंतित है कि बाबूजी भावेश और उसके रिश्ते को क्या स्वीकार करेंगे और तो और क्या भावेश के घर वाले मानेगें क्यूंकि उनकी इतनी हैसियत नहीं है । पर खुश भी ह उसको भावेश का साथ जो मिल गया, इन सब बातों को सोचते-सोचते गांव आ गया उसका भाई स्टेशन लेने आ गया था और वो घर पहुंच गई, पूर खोई-खोई सी थी, मन तो उसका भावेश के पास ही था ये १५ दिन दोनों को महीनों से कम नहीं लग रहे थे दोनों रात में सब के सो जाने बाद घंटो फ़ोन पर बातें करते अपने भविष्य के सपने सजाते; १५
दिन निकल गए और फिर छुट्टियां खत्म हो गईं रागिनी शहर आ गई, भावेश उसको लेने बस स्टैंड गया दोनों बहुत ही खुश थे, धीरे-धीरे कॉलेज के दिन खत्म हो गए, और रागिनी के गांव जाने का समय आ गया, भावेश ने रागिनी को कहा की में बहुत जल्दी पिताजी से बात करूंगारिश्ते की और गांव आऊंगा,
रागिनी ने भी कहा मैं भी गांव जा कर माँ -बाबूजी से बात करूंगी फिर रागिनी गांव चली गई।
भावेश ने अपने पिताजी को रागिनी के बारें में बताया, इस पर उसके पिताजी ने कहा वो ना तो हमारी बिरादरी के है और ना ही उनकी हैसियत हमारे बराबर है। उध रागिनी ने डरले ड्ररते अपनी माँ को सब बताया और उसकी माँ ने पिताजी को, इस पर पिताजी ने रागिनी से कहा मुझे ये रिश्ता मंजूर नहीं है रागिनी क्यूंकि इ गांव में मेरी इंजित है, कैसे मैं तुम्हारी शादी अपनी बिरादरी के बाहर, शुहुर के अनजान लोगों के यहाँ कर दूँ, मैं गांव के ही लड़के से तुम्हारी शादी करूंगा और इन शहरी लोगों का क्या भरोसा, इस पर रागिनी ने कहा पिताजी बस एक बार
आप भावेश से मिल लें और उसके परिवार से भी, फिर आप अपना फैसला सुनाना बड़ी मिन्नतों, प्रयत्नों और पुरे २ महीनों के बाद दोनों के घर वाले मिलने को राजी हुए। भावेश अपने पिताजी और माँ के साथ 'रागिनी के गांव आया, दोनों बहुत खुश थे अब उनको कोई भी शादी के बंधन में बंधने से रोक नहीं सकता था। दोनों के घर वाले आपस में बाते करते हैं और शादी के लिए मान जाते हैं इस 'पर रागिनी के पिताजी बोलते की क्यों ना पंडितजी को बुलाकरू
लगे हाथों शादी का शुभ महूर्त भी निकलवा ही दें। पंडितजी आते हैं और दोनों की कुण्डलिया मांगते हैं कुंडली देख कर पंडित जी बोलते हैं अगर आप बुरा ना माने तो मैं एक बात बताना चाहता हूँ, की ये शाद आप ना ही करें तो बेहतर होगा, रागिनी के पिता बोलते हैं क्यों ऐसा क्या हुआ ? पंडितजी बोलते हैं लडके का मंगल भारी है, इसकी शादी किसी मांगलिक से ही करें तो अच्छा होगा नहीं तो लड़के का अहित होगा और हो सकता है जान का भी जा सकती है, इस पर भावेश बोलता है मैं ये सब बातें नहीं मानता, और आप सब भी इन सब बातों पर ध्यान ना दे, पंडितजी चले जाते हैं। रागिनी के पिताजी बोलते हैं मैं इन सब
बातों में बहुत विश्वास करता हूँ, मैं. ये शादी नहीं कर सकता मुझे माफ़ कर दें, भावेश उसके पिता को बोलता है आप रामिनी के पिताजी कों समझाइये. की ऐसा कुछ नहीं होगा। भावेश के पिता बोलते हैं, आप भी क्या इनसब बातों में आ गए ऐसा ऐसा कुछ नहीं होता है, बच्चों की खुशी इसमें ही है, रागिनी भी बोलती.* है पिताजी मान जाओ ऐसा कुछ नहीं होगा और भविष्य किसने देखा जो किस्मत में लिखा होगा वो तों वैसे भी हो ही जायेगा | रागिनी के पिताजी बोलते है कुछ समय दे मैं सोचूंगा, फिर भावेश और उसके घर वाले चले जाते हैं, घर जाने के बाद भावेश की माँ उसके पिताजी से बोलती है की मैं नहीं चाहती भावेश की जान चले जाये ऐसी शादी मुझे मंजूर नहीं आप भावेश को समझाए
मैं अपना बेटा नहीं खोना चाहती, बात तो तुम्हारी सही है अगर शादी के बाद कुछ बुरा हुआ तो भावेश के पिताजी बोलते है | इधर रागिनी के माँ-पिताजी उसके कमरे में जाते है और सगिनी की माँ बोलती है देख बेटा मैं जानती हूँ तुम दोनों बहुत प्यार करते हो पढ़े लिखे हो इन सब बातों को नहीं मानते पर सोच
अगर कल को भावेश को कुछ हो गया तो और हम तुझे ऐसे विधवा के रूप में
नहीं देख सकते .तू खूद सोच की क्या तू अपने भावेश को कुछ होते . देख पायेगी, उसके पिताजी उसके सर पर हाथ रखते हैं, और बोलते है बेटा ये सब तेरी और भावेश की भलाई के लिए है, क्या भावेश के माता-पिता अपने बेटे को
खोने का दुःख बर्दाश्त कर पाएंगे. तू सोच कर देख इन सब बातों को सोचते ही रागिनी डर जाती है। रागिनी बहुत सोचती है, फिर जब भावेश का फ़ोन आता है तो रागिनी उसे बोलती है की उसे भूल जाए माँ-पिताजी सब सही बोल रहे है• अगर तुम्हें कुछ हो गया तो हम सबका क्या होगा, मैं तुम्हारे बिना कैसे जियूँगी इससे अच्छा है, तुमसे दूर हो जाऊं भावेश रागिनी को बहुत समझाता है और बोलता है की ये सब अंधविश्वास है पूर रागिनी उसकी बात नहीं सुनती है भावेश बोलता है मैं गांव आता हूँ हम बैठ कर बातें कर लेते हैं, 'रागिनी ये जानती है अगर भावेश उसके सामने आया तो वो पिघल जाएगी इस पर कसम दे देती है और कहती है अगर तुम गांव आये और मुझसे कभी मिलने की ‘कोशिश भी की तो मैं मर जाउंगी,और फ़ोन रख देती है उसके बाद रागिनी बहुत रोती है, और भावेश का हाल भी बेहाल है अब भावेश और रागिनी के रास्ते अलग-अलग हो चुके थे | कुछ साल निकल जाते हैं जंख्म फिर भी नहीं भरते, रागिनी के मात-पिता उसके लिए गांव का एक लड़का पसंद करते हैं रागिनी उदास मन से दिल
पर पत्थर रख शादी के लिए हां कह देती है और रागिनी की शादी पंकज से हो जाती है, रागिनी बहुत दुःखी है भावेश की यादें अब तक * नहीं गई और वो मन से पंकज को अपना भी नहीं पा रही थी। एक साल बाद उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ जब बेटा ३ साल का हुआ तब पता चला की वो दूसरे बच्चों से अलग है उसका मानसिक विकास नहीं हो रहा है इसलिए डॉक्टर ने कहा की इसको शहर के अस्पताल में ले जा कर अच्छे साइकेट्रिस्ट को दिखाए, इस पर सब घबरा जाते हैं और रागिनी,.पंकज और रागिनी के पिताजी शहर के अस्पताल जाते हैं वो. टोकन काउंटर से टोकन ले कर, कुर्सियों पर बैठ जाते है और अपनी बारी आने की प्रतीक्षा करते हैं, रागिनी का बेटा खेलते-खेलते एक आदमी के पास कुर्सी पर जा कर बैठ जाता है, रागिनी अपने बच्चे को लेने जाती है, वो देखती है वो आदमी और कोई नहीं भावेश है वो उसे देखती रहती है पर भावेश के चहेरे पर कोई भाव नहीं रहते और वो इधर-उधर ही देखता रहता है जैसे की वो रागिनी जानता ही ना हो, इतने में भावेश के पिताजी आ जाते हैं वो रागिनी को देख रोने लगते है और कहते हैं की काश उस समय हम
तुम्हारी बातों को मान लेते, इतने में रागिनी के पिताजी भी आ जाते: हैं, और भावेश के पिताजी से पूछते हैं कि आप यहाँ कैसे, भावेश के पिताजी बोलते हैं कि भावेश ने मानसिक संतुलन खो दिया है; और २ सालों से उसका इलाज चल रहा है,इतने में पंकज उन्हें बातें कर देख वहां आ जाता है और पूछा है ये कौन है ?रागिनी के पिताजी बोलते हैं ये रागिनी का कॉलेज का दोस्त है सब बड़े दुःखी होते है, रागिनी अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखा के घर आं जाती है और अकेले में अपने पिता से बोलती है कि देख लिया बाबूजी ये कुंडली कुछ नहीं होती जो होना होता है हो जाता है |

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